राजनांदगांव

शानो-शौकत को छोड़ संयम की राह पकड़े डाकलिया परिवार ने दीक्षा से पहले 30 करोड़ की संपत्ति की दान
28-Jan-2022 12:12 PM
शानो-शौकत को छोड़ संयम की राह पकड़े डाकलिया परिवार ने दीक्षा से पहले 30 करोड़ की संपत्ति की दान

   डाकलिया परिवार के 5 समेत आठ ने चुना वैराग्य का जीवन   

 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 जनवरी।
राजनांदगांव जैन बगीचे में डाकलिया परिवार के 5 सदस्य समेत 8 ने शानो-शौकत की जिंदगी को त्यागकर वैराग्य का जीवन चुनकर शाश्वत सत्य की खोज के लिए निकल पड़े। यह एक दुर्लभ धार्मिक अवसर था, जब एकमुश्त एक ही परिवार के 5 लोगों धन-दौलत का मोह और पारिवारिक रिश्ते-नाते छोडक़र संयम का रास्ता चुना। डाकलिया परिवार की एक सदस्य स्वास्थ्य कारणों से दीक्षा नहीं ले पाई। अब उनका 5 फरवरी को राजिम में विधिवत दीक्षा समारोह होगा। अपार धन संपदा होने के बाद भी परिवार के लोगों का सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया। अब उन्होंने भगवान महावीर के आदर्श और सिद्धांतों का पालन करने के लिए मुमुक्षु  का रूप धारण कर लिया है।

गुरुवार को जैन बगीचे में दवा कारोबारी भूपेन्द्र डाकलिया, उनकी पत्नी सपना डाकलिया, पुत्र देवेन्द्र और हर्षित के साथ पुत्री महिमा ने दीक्षा ली। इसके अलावा लुनिया परिवार की सुशीलादेवी लुनिया, कोंडागांव की संगीता गोलछा और बालोद के सौरभ हुगड़ी ने अध्यात्म का चोला पहन लिया। सभी मुमुक्षु को श्री आनंद रत्नाकर दीक्षा पंचचिन्हाका महोत्सव के तहत श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर जी मसा की मौजूदगी में दीक्षा मिली। दीक्षा के बाद सभी को अध्यात्मिक जीवन में नया नाम भी मिल गया, जिसमें  भूपेन्द्र डाकलिया का नाम समन्वय रत्न सागर श्री जी मसा, सपना डाकलिया को साध्वी प्रतिष्ठा श्रीजी मसा, देवेन्द्र डाकलिया को समर्थ रत्न सागर श्रीजी मसा, हर्षित डाकलिया को सार्थक रत्न सागर श्रीजी मसा, महिमा डाकलिया को साध्वी प्रभंजना श्रीजी मसा, बालोद के सौरभ धुगड़ी को संवर रत्न सागर श्रीजी मसा, सुशीलाबाई लुनिया को साध्वी साध्य श्री मसा व कोंडागांव की संगीता गोलछा को साध्वी जिनकीर्ति श्री मसा का नया नाम मिला।

इससे पहले दीक्षा समारोह में सभी ने आचार्य श्री जिन पीयूष सागर जी से जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की। नाचते झूमते दीक्षार्थियो ने आचार्य श्री से रजोहरण लेकर वस्त्र धारण किया और बाल लोच कराए। संस्कारधानी में पहली बार एक साथ आठ लोगों ने दीक्षा ग्रहण की और इस दीक्षा समारोह के साक्षी बने समाज के हजारों लोग। इसके अलावा इस समारोह सीधा प्रसारण भी टीवी पर हुआ।

मुनि श्री सम्यक रतन सागर जी ने मुमुक्षुओं का परिचय दिया और विधि-विधान से पूजा-अर्चना पश्चात मुमुक्षुओं को वस्त्र पहनने के लिए भेजा गया। मुमुक्षुओं ने वस्त्र धारण किए और बाल लोच भी किए गए। इसके बाद मुमुक्षु मंच पर पहुंचे और संयम जीवन के मार्ग के लिए उनके नए नामों की घोषणा की गई। कार्यकम के दौरान गीत संगीत का आयोजन भी होता रहा। सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष एवं श्री जैन पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट समिति के मैनेजिंग ट्रस्टी तथा पूर्व महापौर नरेश डाकलिया, ट्रस्टीगण रिद्धकरण कोटडिया, राजेंद्र कोटडिया (गोमा) एवं अजय सिंगी के साथ ही दीक्षा महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक भावेश बैद, कोषाध्यक्ष रोशन गोलछा, रितेश लोढा, समाज के वरिष्ठ सदस्य राजा डाकलिया, सुभाष लालवानी, प्रभात कोटडिया, बिहार सेवा ग्रुप के मोहिल कोटडिया, आकाश चोपड़ा, जैनम बैद सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में इन कार्यक्रमों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शामिल हुए।


 

पलभर में छोड़ा 30 करोड़ की जायदाद
राजनांदगांव के भूपेन्द्र डाकलिया और उनके परिवार ने दीक्षा की राह चुनने के पहले पलभर में ही  30 करोड़ की चल-अचल संपत्ति को दान कर दिया।  करोड़ों रुपए होने के बावजूद परिवार का सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया था। परिवार ने एक साथ संयम के पथ में निकलने के साथ एक संदेश भी लोगों को दिया। उनके इस कदम को यह माना जा रहा है कि जीवन में धन-दौलत और रिश्ते-नाते से ज्यादा अध्यात्म का जीवन महत्वपूर्ण है। डाकलिया परिवार दवा के कारोबार से जुड़ा रहा है। उनके पास जीवन में सभी तरह की सुख-सुविधाएं थी, लेकिन मन में ईश्वर के प्रति तप करने और समर्पण का भाव पैदा होने के बाद संपत्ति का महत्व नहीं रह गया। परिवार ने तकरीबन 30 करोड़ रुपए की कीमतों वाली जायदाद को दान कर दिया।

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