रायपुर

विद्युत मंडल में समूह बीमा योजना बंद, सीएम से अभियंता, संघ की शिकायत
28-Jan-2022 6:29 PM
विद्युत मंडल में समूह बीमा  योजना बंद, सीएम से अभियंता, संघ की शिकायत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 28 जनवरी। कर्मचारियों और अधिकारियों की समस्याओं के समाधान के लिए विद्युत अभियंता कल्याण संघ के अध्यक्ष इंजी. एनआर छीपा, सचिव इंजी. चंद्रकांत साहू और कोषाध्यक्ष इंजी. पवन यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।

 संघ के पदाधिकारियों का आरोप है कि प्रबंधन अधिकारियों और कर्मचारियों की समस्याओं को नहीं सुना रहा है। संगठन द्वारा 6 माह पूर्व अध्यक्ष स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता के लिए समय मांग गया पर अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। विद्युत कंपनी द्वारा बिना सूचना के मार्च 2021 से समूह बीमा योजना को बंद कर दिया गया है।

इस बीमा के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाने पर पर उनके परिजनों को सहायता राशि दी जाती थी। इसके तहत प्रथम श्रेणी के अधिकारी को 9 लाख रुपए, द्वितीय श्रेणी अधिकारी को 6 लाख रुपए, तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 4.5 लाख रुपए और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 2 लाख रुपए का लाभ मिलता था। समूह बीमा बंद होने से कर्मचारियों-अधिकारियों को यह लाभ नहीं मिल रहा।

भुगतान में कटौती की कुछ बचत अंश ब्याज सहित कर्मचारी की मृत्यु उपरांत या सेवानिवृत्ति पर दिया जाता था। बीमा में मार्च 2021 से पूर्व जमा राशि का भुगतान भी चंद कर्मचारियों और अधिकारियों को ही किया गया है। इसमें भी कई विसंगतियां हैं जिनका समाधान प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा है।

नहीं दी जा रही कैशलेस मेडिक्लेम की सुविधा

कर्मचारियों और अधिकारियों को कैशलेस मेडिक्लेम सुविधा भी नहीं दी जा रही है। इस संबंध में वर्ष 2015 में ही कंपनी और विभिन्न संघों के प्रतिनिधियों की बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी को कैशलेस मेडिक्लेम की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। मगर इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। वर्तमान में जो स्वास्थ्य योजना लागू है उससे करीब 25 प्रतिशत कर्मचारियों और अधिकारियों को ही लाभ मिल रहा है।

प्रस्तावित कैशलेस मेडिक्लेम सुविधा में सेवानिवृत्त कर्मियों को भी इसका लाभ मिलेगा। करीब 8 साल बीत जाने के बाद भी इस फैसले को लागू नहीं किया गया है।

विभागीय जांच में निष्पक्षता की मांग

विभागीय जांच में भी निष्पक्षता की मांग की गई है। जांच के कई मामले पिछले 10-10 सालों से लंबित पड़े हैं, जबकि इन्हें 1 साल के अंदर पूरा करना होता है। पूरे प्रदेश में करीब 200 विभागीय जांच लंबित पड़े हैं। कई जांच अधिकारी शासन के नियमों को अनदेख कर रहे हैं। 

स्थानांतरण नीति का नहीं हो रहा पालन

संघ के अनुसार पावर कंपनी में स्थानांतरण नीति का पालन नहीं हो रहा है। दूर-दराज में पदस्थ और पारिवारिक समस्याओं से प्रभावित कर्मचारियों अधिकारियों के स्वयं के खर्चे पर किए गए आवेदनों पर भी विचार नहीं किया जा रहा है जबकि प्रशासनिक स्थानांतरण अनुपातहीन तरीके से हो रहे हैं। विद्युत कंपनी कर्मचारियों के कल्याणकारी कार्यों को रोककर अडियल रुख अपना रहा है। इससे अधिकारियों और कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।

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