कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 28 जनवरी। नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
प्रकरण के संबंध में लोक अभियोजक हेमंत गोस्वामी ने बताया कि प्रार्थिया ने 14 दिसंबर 2020 को थाना नारायणपुर में आकर लिखित रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि नाबालिग 4 दिसंबर 2020 को भाई के साथ घर से शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय हलामी मुंजमेटा में दसवीं की उत्तर पुस्तिका लिखकर जमा करने के लिए रिश्तेदार के घर में छोडक़र उसका भाई घर वापस चला गया। दस दिसंबर की शाम लगभग 5 बजे पीडि़ता घर जा रही हूं, यह कहकर घर से निकल गई, जो आज तक घर नहीं पहुंचने के कारण नाबालिग को आसपास पता तलाश की गई। पता तलाश के बाद नहीं मिलने से सूचना पर गुम इंसान कायम कर धारा 363 कायम कर विवेचना में लिया गया। इस प्रकरण में शासन की ओर से हेमंत गोस्वामी, लोक अभियोजक ने पैरवी की।
विवेचना के दौरान 15 दिसंबर को 2020 को आरोपी पवन दास हेवार (25) लखापुरी कोण्डागांव के घर से पीडि़ता को बरामद किया गया। इस घटना के बारे में लोक अभियोजक हेंमत गोस्वामी ने बताया कि आरोपी पवन दास (25) पीडि़ता की सहेली का भाई है। घटना दिनांक को पीडि़ता अपनी सहेली के घर लखापुरी गई थी और एक दिन सहेली के घर रूकी थी। उस समय पीडि़ता की सहेली घर नहीं होने के कारण वह टी.वी. देखने पड़ोस के घर गई थी। आरोपी पवन दास ने घर में अकेला देख पीडि़ता के साथ बलात्कार किया। इसके बाद पीडि़ता को इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहने और बताने से जान से मारने की धमकी दी। इसी बीच उसी दिन पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस दल के साथ पीडि़ता को ढूढंते हुए आरोपी के घर तक पहुंच गए।
प्रार्थी के लिखित आवेदन पर आरोपी के विरूद्ध थाना नारायणपुर में धारा 376(1) ,506 (बी) भादवि एवं धारा 4 बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, धारा 3 (2) (पांच) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। प्रकरण की संपूर्ण विवेचना पश्चात् अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.), कोण्डागंाव के न्यायाधीश शान्तनु कुमार देशलहरे ने प्रकरण पर परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त आरोपी पवन दास हेवार को धारा 376 (1) भादवि एवं धारा 04 लैंगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में से धारा 4 लैंगिंग अपराधों का सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत धारा 506 (बी) भादवि में 3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा और एक हजार रुपए के अर्थदंड धारा 3(2) (पांच) आजीवन कारावास की सजा और एक हजार रुपए के अर्थदंड, अर्थदण्ड की राशि अदा नहीं होने के व्यतिक्रम पर तीन एक तीन वर्ष के अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगतने का आदेश पारित किया गया है।