सुकमा
गांव से 90 किमी दूर कटेकल्याण में है धान उपार्जन केंद्र
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
छिंदगढ़, 29 जनवरी। सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक के बॉर्डर पर बसे हुए दंतेवाड़ा जिले के अंतिम ग्राम पंचायत जंगमपाल व प्रतापगिरी के किसान पिछले कई वर्षों से अपनी उपज धान को लेकर विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। यहाँ के किसानों ने जंगमपाल में ही उप धान उपार्जन केंद्र खोलने या कूकानार में ही समायोजन करने की मांग की।
जंगमपाल के किसानों का धान पूर्व में सुकमा जिले के कूकानार धान उपार्जन केंद्र में क्रय किया जाता था, परंतु 2019 से ऑनलाइन होने के पश्चात यह समस्या आ रही है। यहाँ का रकबा क्षेत्र कूकानार धान उपार्जन केंद्र के अंतर्गत नहीं होने के कारण यहाँ के किसान कटेकल्याण धान उपार्जन केंद्र में बेचने मजबूर हैं।
विदित हो कि यहाँ के किसानों का धान सुकमा जिले के कूकानार, तोंगपाल होते हुए बस्तर जिले के दरभा व पखनार होते हुए 90 किमी का सफर तय कर कटेकल्याण पहुंचता है। जंगमपाल के किसान मुड़ा, माडक़ा, हड़मा,भीमा, हिड़मा, केशा,लखमा, पांड़े, घीसा, देवा, बामन, सन्तोष, हांदाराम, सन्ना, कला, कोशा, सुक्का, कोशी, केका, सोमारू,लखन, हूँगा, जोगा, भूपेंद्र, देवीसिंह, महादेव के साथ लगभग 70 किसानों ने बताया कि हम समस्त किसानों ने अपना 1454 बोरी धान जंगमपाल के उचित मूल्य की दुकान में एकत्र कर के रखे हुए हैं। प्रशासन के द्वारा सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है कि धान का उठाव होगा, परन्तु धान खरीदी बंद होने की तारीख नजदीक आ रही है। धान का उठाव नहीं हो पा रहा है साथ ही चूहों के द्वारा भी धान का नुकसान किया जा रहा है।
जंगमपाल के आश्रित ग्राम लखापाल की दूरी जंगमपाल से लगभग 14 किमी है। यहाँ के किसानों ने बताया कि हम लोगों को धान मिंजाई के पश्चात पूरे धान को अपने गाँव से एनएच 30 होते हुए उल्टी दिशा में पंचायत मुख्यालय में लाना पड़ता है, जबकि हमारा गाँव एनएच से 3 किमी अंदर है व जंगमपाल लगभग 12 किमी अंदर की ओर है, बावजूद इसके हमें धान को पंचायत मुख्यालय में एकत्र करना पड़ता है।
फिर पुन: इसी मार्ग से कटेकल्याण जिसकी दूरी 90 किमी है, वहां जाता है, जिससे हम बेहद परेशान हैं। शासन को जंगमपाल में ही उप धान उपार्जन केंद्र खोलना चाहिए।