कोरबा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 12 फरवरी। रामपुर विधायक व पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर अपने समर्थकों के साथ आज निजी नर्सिंग होम,गीता देवी मेमोरियल हॉस्पिटल के सामने धरने पर बैठ गये। यहां मामूली इलाज के लिये सरकारी अस्पताल से रेफर की गई पहाड़ी कोरवा महिला की मौत हो गई। जिला प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया है और पूरे मामले की जांच के लिये एक टीम बनाई है।
विलुप्त होती जनजाति पहाड़ी कोरवा को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है और इनके संरक्षण के लिये सरकार की कई योजनायें चल रही हैं। पहाड़ी कोरवा सुख सिंह की पत्नी सोनी बाई (50 वर्ष) को 9 फरवरी को इलाज के लिये जिला अस्पताल लाया गया था। उसके हाथ में मामूली फ्रैक्चर था। जिला अस्पताल में उसका इलाज नहीं किया गया। सुख सिंह की शिकायत के अनुसार अस्पताल में मौजूद शुभम् नाम के व्यक्ति ने उसे कहा कि उसका यहां पर इलाज नहीं हो पायेगा। उसने निजी नर्सिंग होम गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में जाने के लिये कहा। नर्सिंग होम से एच आर स्वप्निल झा और उसके साथी जिला अस्पताल पहुंचे और वे उसी दिन दोपहर 2 बजे सोनी बाई को इलाज के लिये ले गये। अस्पताल में एडमिट करने के बाद ऑपरेशन के नाम पर डॉक्टरों ने उसे तीन दिन तक भूखा रखा और कई दवाईयां दी। सोनी बाई के हाथ के फ्रैक्चर का इलाज करना था लेकिन वहां हड्डियों का कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। दोपहर 1.15 बजे अस्पताल के प्रबंधकों ने सोनी बाई की मौत हो जाने की सूचना परिजनों को दी।
सोनी बाई के पति सुख सिंह का कहना है कि जिला अस्पताल में दलाल सक्रिय हैं और उनकी निजी अस्पतालों के साथ साठ-गांठ है। गलत दवाईयां देने और इलाज में देरी के कारण उसकी पत्नी की मौत हुई है। उन्होंने अब बाहर के डॉक्टरों से पोस्टमार्टम कराने की मांग की है। जिला अस्पताल के डॉक्टर पोस्टमार्टम में भी गड़बड़ी कर सकते हैं। सुख सिंह ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने कई तरह का लालच दिया और कहा कि आप शिकायत मत करिये। सुख सिंह ने पुलिस में भी रिपोर्ट की है और मांग की है कि निजी नर्सिंग होम के डॉक्टरों और प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाये।
इस घटना की जानकारी मिलते ही रामपुर विधायक व पूर्व गृह मंत्री कंवर निजी अस्पताल के बाहर अपने समर्थकों तथा पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बैठ गये। उन्होंने निजी अस्पताल के प्रबंधकों के अलावा जिला अस्पताल के उन डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने मामूली फ्रैक्चर के इलाज के लिये उन्हें निजी नर्सिंग होम रेफर कर दिया।
उक्त घटनाक्रम से जिला प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर रानू साहू ने एक टीम भेजकर अस्पताल को सील करा दिया है। उक्त नर्सिंग होम के पास वैध लाइसेंस नहीं मिलने के कारण यह कार्रवाई की गई। पूरे मामले की जांच के लिये एक जांच समिति का गठन भी किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीबी बोडे ने बताया है कि नर्सिंग होम सील होने के बाद वहां भर्ती मरीजों को जिला अस्तपाल में शिफ्ट किया गया है।