कवर्धा
बोड़ला, 7 मार्च। विकासखंड के सुदूर वनांचल के ग्राम पंचायत के साथ पानी में सोमवार दोपहर 12 बजे के आसपास गौर घुसने की जानकारी मिली है। दरअसल सुबह जंगल से लगे ग्राम पंचायत बेंदा के साज पानी में पानी की तलाश में गौर जिसे स्थानीय भाषा में वन भैंसा कहा जाता है, गांव में खेत में घुस गया था।
ग्राम वासियों द्वारा इसकी सूचना वन विभाग को दी वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचते ही स्थानीय लोगों को हिदायत दिया वे इससे किसी प्रकार का छेड़छाड़ ना करें। वह अपने से ही जंगल में चला जाएगा। कुछ समय के बाद वह स्वयं जंगल मे चला गया। वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस तरह का गौर भैंसा जिसे इंडियन गौर भी कहा जाता है, प्रमुखता के साथ भोरमदेव अभ्यारण और कान्हा किसली के जंगलों में मिलता है। गौर प्रजाति का यह भैंसा अक्सर इन क्षेत्रों में विचरण करते हुए मिलता है।
गर्मी के मौसम में पानी के फेर में अक्सर यह नदी के किनारे आ जाता है। साथ ही ग्राम पंचायत बेंदा का अधिकांश भाग कान्हा किसली के जंगलों से लगा हुआ है, इसलिए यहां मुख्य रूप से पानी के तलाश में गौर सूअर सांभर चीतल सहित अनेक जानवर नदी नालों के आसपास आते हैं। अक्सर इनका आना जाना रात के समय होता है। दिन के समय यह कभी-कभी दिखाई देते हैं, फिर भी विभाग के द्वारा बस्ती के लोगों को हिदायत दे दिया गया है कि वह जानवरों के साथ छेड़छाड़ न करें, वह अपने आप ही जंगलों में चले जाएंगे।
कान्हा किसली की सीमा से लगा है गांव
चिल्फी घाटी से कान्हा किसली जाने वाले सुपखार मार्ग पर ग्राम बेंदा साजपानी कान्हा किसली नेशनल पार्क के सीमावर्ती क्षेत्रों से लगा गांव है। कान्हा किसली के जंगलों से लगे गांव के नदी नालों में इस तरह के जंगली जानवरों का गर्मी के दिनों में अक्सर पानी की तलाश मे आना जाना होना सामान्य बात है।
नेशनल पार्क की सीमा से लगे होने के कारण ग्रामवासी इस प्रकार के घटनाक्रम से अभ्यस्त हैं। इस विषय में और अधिक जानकारी देते हुए ग्राम बेंदा के जनपद प्रतिनिधि बृजलाल मेरावी व हरीश यादव ने बताया की ग्राम वासियों को अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता ही है।
कान्हा के जंगल के सटे होने के कारण दिन के समय व रात के समय आते जाते इस प्रकार जानवरों से उनका टकराव हो जाना आम बात है।
कान्हा के बफर एरिया अक्सर इस तरह के जंगली जानवर अक्सर घूमते रहते हैं। वह फसलों को तो नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन लोगों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते। बफर जोन एरिया में इस तरह की घटना आम है। समय-समय पर विभाग द्वारा जंगली जानवरों से बचने की हिदायतें भी दी जाती है।