कांकेर

कबाड़ से किया जुगाड़ और आदिवासी छात्र ने बना दिया ड्रोन व हेलीकॉप्टर
22-Mar-2022 5:45 PM
कबाड़ से किया जुगाड़ और आदिवासी छात्र ने बना दिया ड्रोन व हेलीकॉप्टर

वैज्ञानिक बनना चाहता है दीपेश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

केशकाल, 22 मार्च। बरसों बाद नक्सलियों का ख़ौफ़ कम हो रहा है, नक्सलगढ़ में छिपी प्रतिभाएं खुलकर बाहर आने लगी हैं। दीपेश कुमार मरकाम जो कि कक्षा 8 वीं छात्र हैं, केशकाल विधानसभा के करार्रमेटा माध्यमिक विद्यालय में अध्यनरत हैं। इनकी वैज्ञानिक सोच ने आज हर किसी को चकित कर रखा है। 13 वर्षीय इस आदिवासी  छात्र ने कबाड़ में पड़ी चीजों को एकत्रित कर पहले ड्रोन बनाया और अब हेलीकॉप्टर।

इसकी इस वैज्ञानिकी सोच के न केवल उनके परिजन बल्कि पूरा गांव व स्थानीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी हैरान है। बिना किसी गुरूज्ञान के इस छात्र ने प्रतिभा के बल पर ही न केवल ड्रोन बनाया, बल्कि उसे बेहतर तरीके से उड़ाने में भी महारत हासिल कर ली है।

कोंडागांव कलेक्टर को भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन दिखा चुका है। जब कलेक्टर चेंबर में प्रदर्शन दिखा रहा था तब वहां मौजूद रहे अधिकारी व अन्य लोगों ने छात्र की इस प्रतिभा को देखते ही आश्चर्य चकित रह गए।  जिले के अंदरूनी इलाकों से अब माओवादियों का डर खत्म होने के साथ ही प्रतिभाएं भी निखर सामने आने लगी हंै, और वे अपनी प्रतिभा के बलपर ही अपनी जगह स्वयं भी बनाते जा रहे हंै।

छात्र दीपेश ने बताया कि, उनके माता-पिता किसान है और उनकी दो बड़ी बहन है जो अभी पढ़ाई कर रही है। वह हमेंशा अपने परिजनों के साथ बाजार आया-जाया करता था, इसी दौरान उसने एक दिन अपने पिता से उडऩे वाला हेलीकॉप्टर खरीदा लिया था और घर आते ही उसके पूरे कल पुर्जे अलग अलग कर दिये । जिस पर उसके माता-पिता ने उसे काफी डांट भी लगाई थी, लेकिन वह उसे पुन: जैसे-तैसे कर जोडक़र उडऩे लगा था। इसके बाद से ही उसकी वैज्ञानिकी सोच विकसित होती गई और अक्सर घर के उपर से उडऩे वाले हेलीकॉप्टर को देख वह सोचा करता था कि, वह एकदिन ऐसा ही बनाएगा जिसमें लोग बैठेंगे।

इसके बाद उसने घर की कबाड़ में पड़े रेडियो के एवं टेपरिकार्डर के पार्ट्स निकालकर उसने  कोरोना काल के दौरान वर्ष  2021 में ड्रोन बनाया, जिसने उसे विकासखंड स्तरीय प्रदर्शनी में लाया था, वहीं अब उसने हेलीकाप्टर बनाया है जो उड़ता भी है। उसने बताया कि, वह अब मोबाईल के टच स्क्रीन को लेकर कुछ नया करने की कोशिश में है। दीपेश ने अपनी प्रतिभा के बल पर यह कारनामा किया है, उसे किसी ने ट्रेनिंग नहीं दी । यू-ट्यूब के माध्यम से अपने ज्ञान में वृद्धि की है, वह वैज्ञानिक बनना चाहता है ।

उच्चशिक्षा के लिए पिता ने लगाई गुहार

इधर पिता संजीव मरकाम की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने अपने बच्चे की वैज्ञानिकी सोच को देखते हुए उन्होंने राज्यपाल से अपने बच्चे की बेहतर उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद की मांग भी की है। जिससे कि, उसका बेटा एक दिन देश के लिए कुछ बेहतर कर सके। वहीं कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा भी दीपक की प्रतिभा से अभिभूत हैं। उन्होंने उसकी नि:शुल्क पढ़ाई के लिए दीपक के परिजनों को आश्वस्त किया है।

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