नारायणपुर

रावघाट खदान से लौह अयस्क खनन नहीं होने देंगे- ग्रामीण
31-Mar-2022 9:35 PM
रावघाट खदान से लौह अयस्क खनन नहीं होने देंगे- ग्रामीण

 

प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने नाकाबंदी कर अयस्क परिवहन पर लगाई रोक

कहा यह अयस्क हमारा है, कंपनी चोरी कर रही है, किसी ग्रामसभा ने खनन की सहमति नहीं दी है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नारायणपुर,  31 मार्च।
रावघाट खदान से लौह अयस्क के खनन पर आपत्ति जताते प्रभावित गांव के सैकड़ों आदिवासी शनिवार की रात 26 मार्च से खोडगाँव में सडक़ जाम किये, वहीं धरने पर बैठे हैं।  उनका कहना है कि भिलाई स्टील प्लांट को 3 लाख टन प्रतिवर्ष अयस्क खनन कर, उसे रोड से निर्वहन करने की अनुमति 25 जनवरी 22 को पर्यावरण मंत्रालय से मिली थी,  पर अभी तक किसी भी प्रभावित गाँव की ग्राम सभा ने इस खनन परियोजना को सहमति नहीं दी है।  

ज्ञात हो कि मात्र दो सप्ताह पहले 15 मार्च  को जब बीएसपी के कॉन्ट्रेक्टर देव माईनिंग कम्पनी ने लौह अयस्क के लदे दो ट्रकों के परिवहन की पहल की थी, तब भी ग्रामीणों ने आक्रोश में आकर टिप्पर ट्रक चालकों को ग्राम खोडगाँव की बीच सडक़ में अपने अयस्क से भरे ट्रकों को खाली करने पर मजबूर किया था। तब ग्रामीणों ने इस खनन को गैर कानूनी करार कर देव माईनिंग कम्पनी के खिलाफ चोरी के आरोप में और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर करने की भी कोशिश की थी, पर पुलिस ने उसे दर्ज नहीं किया।

समस्त रावघाट खनन प्रभावित ग्रामवासियों ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि  दोबारा से रात के अंधेरे का सहारा लेकर कुछ टिप्पर ट्रक रावघाट पहाड़ी चढ़ गये हैं। यह जानना आवश्यक है कि 4 जून 2009 में कम्पनी को दी गई पर्यावरण स्वीकृति की कंडिका में रात के दौरान किसी भी ट्रक का इन सडक़ों पर परिवहन सख्त प्रतिबंधित है, और कम्पनी ने पर्यावरण मंत्रालय को कई बार आश्वस्त किया है कि समस्त परिवहन दिन के समय ही होगा।  इस गैर कानूनी परिवहन को रोकने के लिये शनिवार की रात से ग्रामीण सडक़ पर ही खाना बना रहे हैं, सो रहे हैं, और निरंतर पहरा दे रहे हैं।  

रविवार 27 मार्च की सुबह ग्रामीणों ने सडक़ पर नाका भी बना दिया है। आसपास के कई गाँव से लोग समर्थन में आये हैं- खोडगाँव, खडक़ागाँव, बिंजली, परलभाट, खैराभाट और अन्य रावघाट खदान प्रभावित गाँव।

ग्रामीणों के अनुसार बीएसपी कम्पनी कई वर्षों से सुहावने वायदे कर रही है, पर उनमें से किसी को पूरा नहीं कर रही है।  उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जब पहाड़ी के ऊपर खदान क्षेत्र पर पेड़ कटाई हुई थी, तो बरसात में मिट्टी बह कर खोडग़ाँव के कैम्प तक पहुँच गई थी। जब इस माईनिंग से कैम्प को भी सुरक्षित नहीं कर सकती सरकार तो हमारे गाँव, हमारे घर, हमारे खेत कैसे सुरक्षित रहेंगे?

आदिवासी परम्परा में रावघाट पर राजाराव बसते हैं, और वह उनके लिये एक पवित्र स्थल है। साथ ही रावघाट क्षेत्र के लोगों की आस्था यहाँ स्थित कई देवताओं पर है, जो उनकी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जैसे कि देवता गुमंकल और गडेलकल, जो कि खनन क्षेत्र की भूमि में ही बसते हैं। ऐसे कई और महत्वपूर्ण देवताओं को खनन की वजह से आहत पहुंचेगी।

यही नहीं, आसपास के सभी गाँव इस पहाड़ी पर अपनी गौण वनोपज के लिये, औषधियों के लिये निर्भर है। बताया जाता है कि जब कुछ दशक पहले यहाँ पर बरसात का अभाव था तो इसे पहाड़ के जंगल में मधु पीकर और जंगली कन्दमूल, जड़ी-बूटी खाकर लोगों ने कई साल गुज़ारा किया था।

ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस और कलेक्टर ऑफिस से निरंतर दबाव आ रहा है कि इस धरने के बंद किया जाये।  एक तरफ ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है कि नक्सली केस में फंसा देंगे, दूसरी ओर उन्हे जनपद ऑफिस बुलाकर लुभाया जा रहा है, कि क्या चाहते हो, सब कुछ देंगे। माईनिंग प्रभावित कुछ ग्रामों को वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत समुदायिक वन अधिकार पत्र भी मिला है, जिसका यह खनन परियोजना एक सीधा सीधा उल्लंघन है।

समस्त प्रभावित ग्रामवासियों और नाका लगए हुए जुझारू लोगों की मांग है कि रावघाट खनन परियोजना बंद की जाए, खदान की स्वीकृति रद्ध हो और बिना ग्राम सभा के कोई भी निर्णय नहीं लिया जाए। 

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