सुकमा
आईजी ने नक्सलियों के आरोप को झूठा और निराधार बताया
दोरनापाल, 16 अप्रैल। बस्तर में एक बार फिर से नक्सली संगठन ने सुरक्षा एजेंसियों और सरकारों पर हवाई हमले करने का आरोप लगाया है। इस आरोप में नक्सली संगठन ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार समेत पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों पर बस्तर के अलग-अलग इलाकों में हवाई बम गिराने का आरोप लगाया है।
भारत के कम्युनिस्ट पार्टी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लिखा है कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी पर 14 व 15 अप्रैल की दरमियानी रात दक्षिण बस्तर के वो बोटटेम, रासम, एराम मेटागुडम ,साकिलेर,मड़पा ,दुलेड,कन्नेमरका, पोर्टेममंगुम बोत्तम आदि गांव व जंगलो को निशाना बनाकर रात 1 बजे से 2 बजे के बीच लगातार सैनिक दोनों से भीषण बमबारी की गई है।
इसके साथ ही दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति में यह भी लिखा कि इस पूरे बमबारी में पीएलजीए सुरक्षित बच निकला। नक्सली संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति में यह भी लिखा है कि लगातार पीएलजीए संगठन के ऊपर सुरक्षा एजेंसियों के ड्रोन और हेलीकॉप्टर मंडरा रहे हैं और सुरक्षा बल उनके खिलाफ अभियान तेज कर रहे हैं। प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा कि आदिवासी जनता जो जंगलों में निर्भर होकर अपना जीवन यापन करते हैं वह जंगलों में जाने से सशस्त्र बल उन्हें मना कर रहे हैं हवाई बम से जनता महुआ बीनने से वंचित हो रहे हैं।
जनसमर्थन समाप्त होने की बौखलाहट में नक्सली कर रहे गुमराह-आईजी
शनिवार को नक्सली संगठन की और से हवाई बमबारी का पुलिस पर आरोप लगाते हुए एक प्रेसनोट जारी हुआ था, जिसका खंडन करते हुए बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है जिसमें इन सभी आरोपों को निराधार बताया है।
बस्तर आईजी के अनुसार माओवादियों द्वारा सुरक्षा बल के ऊपर इस प्रकार के निराधार आरोप लगाते हुये क्षेत्र की जनता को दिग्भ्रमित करना प्रतिबंधित गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन की एक सोची-समझी साजिश की रणनीति का हिस्सा है। बस्तर सहित पूरे भारत वर्ष में नागरिकों की जानमाल की रक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था अंतर्गत स्थानीय पुलिस एवं सुरक्षा बल द्वारा वर्तमान में की जा रही है तथा यह दायित्व को आने वाला समय में भी हम निभायेंगे। माओवादियों को झूठे प्रचार-प्रसार एवं क्षेत्र के निर्दोष नागरिकों को प्रताडि़त करना, वनांचल क्षेत्र की जनता को मूलभूत सुविधा से वंचित रखना इत्यादि गैर मानवीय एवं विकास विरोधी हरकतों को छोडक़र जमीनी हकीकत को जानना एवं समझना जरूरी है।
क्रांतिकारी जन आंदोलन की आड़ में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात् विगत 22 वर्षों में बस्तर क्षेत्र में 1700 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों (जिनमें कई महिला, बच्चे एवं बुजुर्ग भी शामिल हैं) की हत्या एवं 1100 से अधिक बार आईईडी विस्फोट करके बस्तर की हरित धरा को लाल आतंक की छाया में तब्दील किया गया। ये सब माओवादी आंदोलन का असली एवं भयानक चेहरा है। बसवराजू, सुजाता, गणेश उईके, रामचन्द्र रेड्डी, चन्द्रन्ना जैसे बाहरी माओवादी नेताओं की साजिश का शिकार होकर खुद अपने आदिवासी समाज की पैर में कुल्हाड़ी मार रहें हैं। स्थानीय माओवादी कैडरों को ये सब हकीकत को समझाना जरूरी है।
सुन्दरराज पी. पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज द्वारा बताया गया कि जिस तरीके से विगत कुछ वर्षों में प्रतिबंधित गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन की विकास विरोधी एवं जनविरोधी हरकतों से माओवादी संगठन का जनसमर्थन समाप्त होने की बौखलाहट में माओवादी नेतृत्वों द्वारा असत्य एवं गुमराह जानकारियों के माध्यम से क्षेत्र की जनता का ध्यान भटकाने का लगातार असफल प्रयास किया जा रहा है। साथ ही पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज द्वारा वनांचल क्षेत्र की जनता एवं खास तौर पर युवा तथा युवतियों से बस्तर क्षेत्र में माओवादियों द्वारा फैलाये जा रहे हिंसात्मक विचारों का खात्मा करते हुये बस्तर क्षेत्र को एक नई पहचान दिलाने में पुलिस, सुरक्षा बल, स्थानीय प्रशासन एवं शासन का साथ देने हेतु अपील की गई।