राजनांदगांव

एक मई मजदूर दिवस पर विशेष रिपोर्ट
30-Apr-2022 4:06 PM
एक मई मजदूर दिवस पर विशेष रिपोर्ट

मजदूरों के लिए जन्मजात रोग बना महंगाई और गरीबी

दुनिया की तरक्की के असल गवाह मजदूर तबका पीढिय़ों से अमीरी के ख्वाब में जी रहा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 अप्रैल।
राजनांदगांव के ग्रामीण वार्ड की कीर्ति निषाद रोज की तरह दूसरे तबके के आर्थिक उन्नति को देखकर अपने जीवन को सुनहरा रूप में देखने का ख्वाह लेकर जी-तोड़ मेहनत करती है। दुनिया की तरक्की में असल गवाह माने जाने वाले  मजदूर तबके के लिए हर दिन संघर्ष के बाद ही अन्न के दाने पेट में जाते हैं। चिलचिलाती धूप में पसीने से लथपथ हुए बगैर इस तबके को दो वक्त की रोटी नसीब होना संभव नहीं है।

‘छत्तीसगढ़’ ने एक मई मजदूर दिवस की खासियत पर जब मजदूरों से रूबरू होकर उनके मौजूदा  आर्थिक हालात पर चर्चा की तो उनकी जुबानी सिर्फ  संघर्ष की गाथा सामने आई। इधर महिला मजदूर सामानों के बढ़ते दाम और मजदूरी कम मिलने को लेकर चिंतित नजर आ रही है। महिला मजदूरों ने मजदूर दिवस को लेकर कहा कि इस दिन का हम मजदूरों के लिए कोई फर्क नहीं पड़ता। मजदूरों ने कहा कि उनकी मजदूरी  में कोई इजाफा नहीं हो रहा है। वहीं महंगाई दिनों-दिन बढऩे से उनकी आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है। इसके अलावा शासन-प्रशासन से उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में इस दिवस का उन पर कोई असर नहीं पड़ता है।

कड़ी धूप और विषम परिस्थितियों में जी-तोड़ मेहनत करने वाले मजदूर आज भी अपने कद्र को बे-मोल मानते हैं। सरकारी तंत्र और ठेकेदारी प्रथा के बीच पीस रहा यह वर्ग तमाम कोशिशों के बावजूद आज पर्यन्त अपनी आर्थिक संघर्ष को लेकर आगे बढ़ रहा है। नतीजतन पीढ़ी-दर-पीढ़ी शक्ल में यह वर्ग शहर की बड़ी इमारतों की नींव को मजबूत कर रहा है। अच्छी मजदूरी और मेहनताने के अभाव में श्रमिकों को अब भी ‘अच्छे दिन’ का इंतजार है।

‘छत्तीसगढ़’ ने शहर में निर्माणाधीन मकान में मजदूरी करने वाले मजदूरों से खास मुलाकात की। यहां कार्यरत मजदूरों ने ‘मजदूर दिवस’ को लेकर जानकारी होने की बात कहते हुउ इसके महत्व को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की। हल्दी निवासी कीर्ति निषाद, कुलेश्वरी यादव, राधिका साहू व विनोद कुमार समेत कुछ अन्य मजदूर ने मजदूर दिवस को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की। मजदूरों ने कहा कि वे लंबे समय से मजदूरी कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान में खाद्य पदार्थों के दाम बढऩे से उनकी मजदूरी कम पडऩे लगी है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा बीमारी से ग्रसित होने पर हाथ फैलाने की नौबत तक आ जाती है। मजदूरों का कहना है कि उनकी मजदूरी कम और घर में उपयोग होने वाले खाद्य पदार्थों के दाम लगातार बढऩे से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

मजदूरों ने अपनी हालत पर मायूसी जताते कहा कि ऐसा ही हाल रहा तो उन्हें दो वक्त का भोजन के बजाय एक वक्त ही भोजन मिल पाएगा। ऐसे में मजदूरी करने के बावजूद वे अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी असमर्थ होने की चिंता उन्हें सता रही है।
 

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