रायगढ़

जमीन पर बना दी सडक़, मुआवजा के लिए लगा रहे दो साल से दफ्तरों के चक्कर
09-May-2022 2:32 PM
जमीन पर बना दी सडक़, मुआवजा के लिए लगा रहे दो साल से दफ्तरों के चक्कर

अफसरों की मनमानी और उपेक्षा से तंग आदिवासी किसान अब बैठेंगे सडक़ पर

मुख्यमंत्री को भी सुनाएंगे पीडि़त किसान अपनी व्यथा

एसडीएम सारंगढ़ को किसानों का आवेदन, एक सप्ताह में मुआवजा नहीं मिलने पर सडक़ पर बैठकर रोकेंगे रास्ता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 9 मई।
रायगढ़ जिला के बरमकेला तहसील अंतर्गत बरमकेला से सोहेला राजमार्ग पर ग्राम खिचरी के आदिवासियों की जमीन पर बिना अनुमति के और मुआवजा भुगतान किये बिना ही छग रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमि. द्वारा सडक़ निर्माण कर दिया गया और जब उक्त आदिवासी किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते हुए 2 साल गुजर जाने के बाद भी अपनी जमीन का मुआवजा नहीं मिला और उन्हें बताया गया कि आदिवासी जमीन बिना कलेक्टर की अनुमति के बिक्री नहीं कर सकते, फिर कलेक्ट्रेट में अपने जमीन विक्रय की अनुमति बाबत आवेदन देकर प्रतीक्षा करने लगे अगस्त 2001 में कलेक्टर कार्यालय से उक्त जमीन के बिक्री और पंजीयन की अनुमति प्राप्त हो जाने के 10 महीने बीत जाने के बाद भी आज पर्यंत आदिवासियों को मुआवजा राशि नहीं मिल पाया है, जिससे व्यथित होकर अपने स्वामित्व की जमीन पर बने सडक़ में बैठकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने एसडीएम सारंगढ़ को अल्टीमेटम देकर अपनी भावनाओं से अवगत कराया है। पीडि़त किसानों ने अपनी व्यथा मुख्यमंत्री को भी बताने की बात कही है।

 यहां यह भी सवाल उठता है कि यदि बिना कलेक्टर की अनुमति के आदिवासियों की जमीन क्रय विक्रय नहीं हो सकती तो बिना भूस्वामियों की सहमति के जमीन पर सडक़ कैसे बना दिया गया ?
 विदित हो कि व्यथित किसान छत्तीसगढ़ रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन  लिमि. , लोक निर्माण विभाग, तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक राजस्व विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं। सडक़ बनने के सालों बाद भी उन्हें अपने स्वामित्व की जमीन का मुआवजा आज पर्यंत नहीं मिला है जिससे व्यथित होकर किसान अब अपनी जमीन को कब्जा मे लेकर रास्ता रोकने के निर्णय लेने को विवश हुए हंै।

किसानों ने यह भी जानकारी दी है कि 29 मार्च 2022 को एसडीएम सारंगढ़ द्वारा प्रबंध संचालक छ.ग. रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड रायपुर को पत्र लिखकर किसानों के जमीन पंजीयन की कार्रवाई हेतु लिखा गया था, परंतु इस पत्र पर किसी भी प्रकार से रुचि नहीं ली गई और न ही कोई कार्रवाई हुई।

 प्रदेश में आम जनता के अधिकार और पिछड़े आदिवासियों के हक दिलाने मे कितने बेपरवाह है अजजा वर्ग को जमीनी स्तर पर किस प्रकार यहां के अधिकारी नजरअंदाज करते हैं , ठेकेदार और राजस्व विभाग की मजबूत गठजोड सरकार के मंसुबो पर  किस प्रकार पानी फेरते हैं इसका ज्वलंत उदाहरण है ग्राम खिचरी के आदिवासी कृषको के जमीन मुआवजा का यह लम्बित मामला।

किसानों ने आवेदन पत्र में उल्लेख करते हुए लिखा है कि यदि उनके जमीन की मुआवजा का भुगतान 1 सप्ताह के भीतर नहीं किया जाता है तो वह उक्त जमीन को अपने खेत में मिलाने के लिए विवश हो जाएंगे और सडक़ पर बैठकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करेंगे।

ग्राम खिचरी के किसान पंडितराम , रामदयाल आत्माज दुर्जन जाति कोंध, पालूराम एवं संतराम पिता सत्यानंद जाति कोंध एवं रघुनाथ एवं लक्ष्मण सिदार पिता रोन्हा प्रसाद जाति गोड़ द्वारा एसडीएम सारंगढ़ को लिखे गए पत्र की प्रतिलिपि रायगढ़ कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को भी दी गई है । व्यथित किसानों ने बताया कि जरूरत पडऩे पर वे मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचेंगे और उनके साथ हो रहे अन्याय से उन्हें भी अवगत कराएंगे

पूर्व में भी किसानों ने रोका था सडक़ निर्माण का काम
विदित हो कि उक्त जमीन के मुआवजा नहीं मिलने से गैर आदिवासी पिछड़े वर्ग के किसानों ने भी सडक़ निर्माण कार्य पर रोक लगाकर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया था और लंबे संघर्ष के बाद ही कुछ किसानों के जमीन की पंजीयन हो पाई थी और कलेक्टर की अनुमति नहीं मिलने से आदिवासियों की जमीन की बिक्री एवं पंजीयन लंबित रहा, अब जबकि कलेक्टर रायगढ़ से जमीन क्रय और पंजीयन के लिए अनुमति प्राप्त हो चुकी है, जिसकी प्रति एसडीएम सारंगढ़ और तहसीलदार बरमकेला भेजे 10 महीना हो गए हैं परंतु इन अधिकारियों को किसानों के हित के प्रति रूचि नहीं होने से आज यह स्थिति निर्मित हुई है।

 

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