कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 10 मई। राम कथा के पंचम दिवस में संत अतुल कृष्ण ने भक्तों व साधकों को परिवार निर्माण के सूत्र दिए।
अभिभावकों को आह्वान करते हुए कहा कि, आप अपने बच्चों के बचपन छिनने का काम न करें, बाल्यावस्था खेलने कूदने शरारत करने और प्रेम पाने के लिए ही ईश्वर ने रचना की है। इसलिए उन पर अपनी इच्छाएं न लादें आपने पांच वर्ष पूर्व बच्चों को स्कूल भेजने की प्रक्रिया को बच्चों के शैशवास्था के साथ खिलवाड़ व नैसर्गिक विकास में बाधक बताया।
आशीर्वाद मांगने से नहीं जीवन में सहजता से मिलती है जो पात्र होते है। उन पर संतों का गुरुओं का ईश्वर और माता पिता का आशीर्वाद बिना मांगे मिलता है।
आगे कहा कि प्रात: उठकर मातृभूमि माता-पिता और सास ससुर को प्रणाम करने का संस्कार हमारे जीवन का अनिवार्य क्रम होना चाहिए। बच्चों को बाय-बाय टाटा नहीं सिखाएं राम राम, जय श्री कृष्ण जय, गुरुदेव, राधे राधे, जैसे सांस्कृतिक सुवाक्यों से अभिवादन करना सिखाएं हम। भारतीय संस्कृति, भारत के सांस्कृतिक धरोहर और सांस्कृतिक मूल्यों को बाल्यावस्था से ही आत्मसात करने के लिए श्री राम मानस मंडल एवं सभी सनातन समाज को सप्ताह में एक दिन संस्कारशाला चलाने का आह्वान आपने किया।
माता अहिल्या, भगवान कृष्ण और प्रभू श्रीराम के लीला का मर्मस्पर्शी चरित्र चित्रण सुनकर भक्तों की आंखें छलक उठी। राम कथा सुनने शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक शाला के मैदान में भक्तों की तदाद बढ़ती जा रही है।