धमतरी

निजी स्कूल संचालकों के दबाव से महंगे दाम पर कापी-पुस्तक खरीद रहे पालक
11-May-2022 5:03 PM
निजी स्कूल संचालकों के दबाव से महंगे दाम पर कापी-पुस्तक खरीद रहे पालक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 11 मई।
स्टेशनरी और यूनिफार्म का लेकर दुकान संचालकों और निजी स्कूल संचालकों के बीच कमीशन का खेल चल रहा है। दोनों की मिलीभगत से परिजनों को भारी पड़ रही है। स्कूल संचालकों द्वारा दबाव बनाए जाने से उन्हें अधिक कीमत पर कापी, पुस्तक आदि खरीदना पड़ रहा है।

निजी स्कूल संचालकों की मनमानी नहीं रुक पा रही है। शिक्षा को उन्होंने व्यवसाय बनाकर रख दिया है। पाठय सामग्री से लेकर यूनिफार्म तक में वे अपनी जेब गरम कर रहे हैं। उनके कारण गरीब वर्ग के परिजनों को अपने छात्रों को प्राइवेट स्कूलों में महंगा पडऩे लगा है।
इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने डीईओ रजनी नेलसन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

जिले में 205 प्राइवेट स्कूल
शिक्षा विभाग के मुताबिक जिले में 205 प्राइवेट स्कूल है। यहां एडमिशन की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। पहले परिजनों से 20 से 50 प्रतिशत फीस बढ़ाकर एडमिशन लिया जा रहा है। इसके बाद उन्हें अपने पहचान के दुकानों से पुस्तक, कापी, यूनिफार्म समेत अन्य सामग्री खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसमें उनका कमीशन भी फिक्स है। जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी है, लेकिन वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में जरूरत से ज्यादा कापियां खरीद करने के लिए कहा जा रहा है। उनके कहने पर बुक डिपो संचालकों ने भी इसकी कीमत बढ़ा दी है।

परिजन बोले- स्कूल में लूटे जा रहे पालक
परिजन महेश साहू, देविका पटेल, गौकरण साहू, भोलानाथ यादव ने बताया कि उनका बेटा शहर के एक प्राइवेट स्कूल में केजी टू का छात्र है। पुस्तक और कापी खरीदने में ही 2 हजार रुपए खर्च हो गया है। 100 रुपए की दर से 8 कापी शामिल हैं। इसके अलावा कपास समेत अन्य स्टेशनरी सामग्री भी खरीदना पड़ा। स्कूल संचालकों की मनमानी पालकों को भारी पड़ रहा।
पालक गवेंद्र पटेल, नरेन्द्र साहू ने कहा कि निजी स्कूलों में सुविधा प्रदान करने के नाम पर मनमाना शुल्क लिया जाता है, जबकि कई स्कूलों में खेल ग्राउंड है और न ही आवश्यक सुविधाएं। ऐसे में उन्होंने जिला शिक्षा विभाग से मनमानी फीस पर अंकुश लगाने की मांग की है।

20 फीसदी तक बढ़ी महंगाई
प्राइवेट स्कूलों के यूनिफार्म की कीमत 20 प्रतिशत तक इस साल बढ़ गई है। जो कपड़ा बाजार में 2 सौ रुपए में मिल रहा है, वही कपड़ा स्कूलों से संबंधित दुकानों में 300 रुपए में बिक रहा है। ऐसे में महंगाई की मार के चलते परिजनों की हालत पस्त हो गई है। उन्होंने शिक्षा विभाग से राहत प्रदान करने की मांग की है।

इन नियमों का नहीं हो रहा पालन
निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से फीस अधिनियम की धारा-10 की उपधारा-8 लागू किया गया है। इसके तहत निजी स्कूलों में फीस में बढ़ोतरी करने के लिए विद्यालय फीस समिति का भी गठन किया गया है। नियमानुसार आपसी सहमति के आधार पर कोई भी निजी स्कूल संचालक एक बार में अधिकतम 8 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। इसके लिए कलेक्टर और शिक्षा विभाग की सहमति होना आवश्यक है, लेकिन शिक्षण शुल्क के अलावा अन्य सेवाओं के लिए ली जा रही फीस पर अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है। इससे पालक परेशान हो गए हैं।
 

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