सरगुजा

मालिक नहीं बल्कि सेवक व रखवाला बनकर करें काम
11-May-2022 8:13 PM
मालिक नहीं बल्कि सेवक व रखवाला बनकर करें काम

मुख्यमंत्री ने ली अधिकारी-कर्मचारियों की बैठक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,11 मई।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश व्यापी भेंट-मुलाकात अभियान के तहत सर्किट हाउस अम्बिकापुर में अधिकारी एवं कर्मचारियों की बैठक लेकर कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देशित किया कि जल, जंगल के असली मालिक वहां के निवासी है वन विभाग नहीं, विभाग का काम केवल रखवाली करना है। अधिकारी-कर्मचारी जनता का सेवक बनकर काम करें। जो होना चाहिए वही काम करें जो नहीं होना चाहिए वह न करें।

मंगलवार को जिले के लुण्ड्रा विधानसभा क्षेत्र में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अम्बिकापुर विश्राम गृह में रात्रि विश्राम पश्चात बुधवार को योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा ध्येय एक व्यक्ति को केंद्र में रखकर योजना का क्रियान्वयन करने का है ताकि योजना का लाभ लेने एक भी व्यक्ति न छूटे।

उन्होंने कहा कि सरगुजा में गोठानों में अच्छा काम हो रहा है। महिलाएं मशरूम उत्पादन, मुर्गीपालन, बटेर पालन, गलीचा निर्माण का कार्य कर रही है। आय बढ़ाने के उपाय करना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों के आवेदन पर समय-सीमा में कार्यवाही हेतु ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की गई है। अब मैदानी अमले से लेकर मंत्रालय तक के अधिकारी आवेदन की मॉनिटरिंग कर सकेंगे।

उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि आज भ्रमण का आखिरी दिन है और काम से फुरसत मिल जाएगी ऐसा मत सोचें। भेंट-मुलाकात में जितने आवेदन आये हैं सभी का गुणवत्तापूर्ण निराकरण होना चाहिए। काम करेंगे तभी बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि बहुत से विभाग के अधिकारी बहुत अच्छा काम कर रहे है, अच्छा काम करने वाले अधिकारियों की संख्या अधिक है। लेकिन किसी एक के अच्छा काम नहीं करने का प्रभाव पूरे विभाग पर पड़ता है।

इसके पूर्व अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने अधिकारी-कर्मचारियां की बैठक लेकर जरुरी निर्देश दिए। उन्होंने निर्देशित किया कि लोगों द्वारा दिए जा रहे आवेदनों की पावती देने की व्यवस्था हो ताकि लोगों को भरोसा हो की उनका काम हो जाएगा। लोगों के काम में प्रशासनिक दबाव न हो।

उन्होंने कहा कि किसी अधिकारी-कर्मचरी को ससपेंड करने का इरादा नहीं होता। लेकिन ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है जिससे कार्यवाही करनी पड़ती है। कहीं भी अनियमितता, गुणवत्ताहीन कार्य न हो। गोठान के कार्य मे विभागों की समन्वय जरूरी है।

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