महासमुन्द

बंधक मजदूर तमिलनाडु से सकुशल लौटे
12-May-2022 4:34 PM
 बंधक मजदूर तमिलनाडु से सकुशल लौटे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 12 मई।
कोई डेढ़ माह पूर्व मजदूरी करने तमिलनाडु के नल्लीपल्लम गए क्षेत्र के आठ युवक सकुशल अपने ग्राम लौट आये है। इन मजदूरों के अनुसार पिथौरा से उन्हें लेने गयी प्रशासनिक टीम उन तक नहीं पहुंची परन्तु कलेक्टर महासमुन्द द्वारा विरधुनगर के एसपी को लिखे पत्र के बाद तमिलनाडु पुलिस के हस्तक्षेप से कंपनी ने स्वयम के खर्च पर उन्हें निजी बस से उनके घर तक पहुंचा दिया।

विकासखण्ड के ग्राम अरण्ड एवम धनोरा के कुल 8 युवाओं के परिजनों ने विगत 21 अप्रैल को स्थानीय पुलिस में उक्त मामले की सूचना दे कर युवकों को उनके घर सकुशल लाने का निवेदन किया था। परन्तु इस आवेदन पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा ग्रामीणों ने इसकी जानकारी क्षेत्तीय विधायक एवं संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव को दी। इस पर श्री यादव ने तत्काल कलेक्टर से बात की। श्री यादव की शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए महासमुन्द कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर द्वारा बिन्दुनगर तमिलनाडु के एसपी को पत्र लिख कर पूरी घटना की जानकारी प्रेषित की थी। जिस पर विरधुनगर एसपी द्वारा नल्लीपल्लम के आराधना पेपर मिल से सभी आठ युवकों को छुड़वाकर कंपनी के वाहन द्वारा ही निजी बस से युवकों के घर तक पहुंचा दिया।
बंधक की कहानी युवकों की जुबानी

अधिक मजदूरी की लालच में अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर जाकर बंधक बने मजदूरों ने अपनी व्यथा ‘छत्तीसगढ़’ को बताई। एक युवक अजय ध्रुव ने बताया कि उन्हें पिथौरा के एक व्यवसायी ने तमिलनाडु की एक पेपर मिल में काम करने के लिए 18 हजार रुपये प्रतिमाह की दर पर ट्रेन से तमिलनाडु के नल्लीपल्लम ग्राम भेजा था। वहां पहले दिन से ही उन पर प्रताडऩा का दौर प्रारम्भ हो गया। उन्हें पेपर के काम की बजाय गर्म ब्रॉयलर में काम करने लगाया गया। इसके बाद उन्हें 18 की बजाय 12 हजार भुगतान की बात कही गई। काम 8 घंटे की बजाय सूर्योदय से सूर्यास्त तक करना पड़ता था। खाने के नाम पर उन्हें राशन देकर खुद बनाने कहा गया। मिल मालिक के कारनामो से परेशान युवकों ने जब उन्हें काम नही करने और वापस घर जाने की बात कही गयी। तब मालिक ने सभी के मोबाइल और उनके पास बचा कर रखे गए रूपये छीन लिए। जिससे अब दभी मजदूर मजबूर होकर बंधक की तरह काम करते रहे।अजय ने बताया कि उनमें से एक युवक हुमन ठाकुर ने अपना मोबाइल छिपा कर रखा था। अत्यधिक परेशानी के बाद उसने एकांत देख कर अपने ग्राम सरपंच देवराज ठाकुर को मोबाइल पर पूरे हालात की जानकारी दी। इसके बाद सुबह सरपंच स्वयं फंसे युवकों के परिजनों के साथ थाना पहुच कर घटना के संबंध में आवेदन दिया था। परन्तु पुलिस ने ना कोई कार्यवाही की और न ही प्रथम सूचना रपट दर्ज की।

दो नाबालिग सहित आठ युवक
पूरे मामले में अरण्ड निवासी अजय (26), हुमन कुमार (17), बासदेव ठाकुर(22), सूरज (18), एवम धनोरा निवासी नाबालिग रितेश दीवान (17), तरुण ध्रुव (27), हेमंत ध्रुव (25) एवम हेमसिंह ध्रुव (18) को बस से वापस भेजा गया है।
बेल्डीह के दो युवक भी आये

युवकों ने इस प्रतिनिधि को बताया कि जब उन्हें तमिलनाडु पुलिस आराधना पेपर मिल से निकालने पहुंची तब अचानक दो और युवक इन युवकों एवम पुलिस के पैर पकड़ कर उन्हें भी छुड़ाने के लिए गिड़गिड़ाने लगे। तब उन्होंने उन युवकों को भी आने साथ ले लिया। दोनों युवक विकासखण्ड के दूरस्थ ग्राम बेल्डीह निवासी है। अजय के अनुसार पुलिस ने उन सभी को पेपर मिल से निकाल कर रेलवे स्टेशन ले गया और वहां समीप स्थित एक लॉज होटल ब्रिजलैंड के एक कमरे में सभी 10 लोगों को बन्द कर दिया। कुछ घण्टो बाद इन्हें होटल से निकाल कर एक बस द्वारा सीधे रायपुर भेज दिया गया।
 

पुलिस चेन्नई से वापस
दूसरी ओर टीम में गए एएसआई प्रकाश नागरची ने बताया कि स्थानीय तहसीलदार के नेतृत्व में युवकों को लेने गयी टीम ज़ब चेन्नई पहुंची तब उन्हें पता चला कि सभी युवक वापस रवाना हो गए है। तब पुलिस एवम प्रशासन की टीम भी चेन्नई से वापस लौट आई।

 

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