महासमुन्द
दोनों भाईयों के बीच जमीन-जायजाद का पुराना विवाद भी सुलझा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 15 मई। शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौते से 1648 प्रकरण निराकृत किए गए हैं। लोक अदालत में प्रकरणों के पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उनकी उपस्थिति में निराकृत किए जाने के अतिरिक्त स्पेशल सिटिंग के माध्यम से भी पेटी आफेंस के प्रकरणों को निराकृत किए गए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के सचिव दामोदर प्रसाद चन्द्रा ने जानकारी दी कि शनिवार को जिला न्यायालय महासमुंद व तहसील पिथौरा, बसना, सरायपाली स्थित सिविल न्यायालयों में कुल 13 खंडपीठों का गठन कर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत की उक्त सभी खण्डपीठों में श्रमिक विवाद, बैंक रिकवरी प्रकरण, विद्युत एवं देयक के अवशेष बकाया की वसूली और राजीनामा योग्य अन्य मामले के बकाया की वसूली संबंधी प्री.लिटिगेशन मामले, राजस्व न्यायालयों से संबंधित प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए थे।
विभिन्न न्यायालयों में प्री.लिटिगेशन एवं राजस्व न्यायालयों के कुल 7136 प्रकरणों में सुनवाई बाद सुलह एवं समझौता के आधार पर कुल 1648 प्रकरणों का तथा न्यायालयों में लंबित सिविल वाद, दांडिक मामलों, मोटर दुर्घटना दावा इत्यादि के कुल 1388 मामलों में सुनवाई के बाद सुलह एवं समझौता के आधार पर 2425 मामलों का निराकरण किया गया और उनमें रुपए 2 करोड़ 48 लाख 31 हजार 976 की राशि के अवार्ड पारित किए गए।
इस दौरान न्यायालय पिथौरा में लंबित दाण्डिक प्रकरण सुलझा जो दाण्डिक प्रकरण क्रमांक 369, 2022 का आपराधिक मामला एक ही परिवार के सदस्यों के मध्य लंबित था। दोनों भाईयों के बीच जमीन.जायजाद से शुरू हुए विवाद ने आक्रामक मारपीट का रूप ले लिया था। नेशनल लोक अदालत में पक्षकारों को एक साथ बिठाकर खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी द्वारा समझाइश दी गई आरै मामला सुलझ गया।