दन्तेवाड़ा
निलंबित महिला पटवारी ने राज्यपाल से की इच्छा मृत्यु की मांग
कार्रवाई नियमानुसार, आरोप निराधार-एसडीएम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा,15 मई। दंतेवाड़ा में निलंबित महिला पटवारी द्वारा तहसीलदार व एसडीएम पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की गई है, वहीं एसडीएम ने कार्रवाई को नियमानुसार बताते हुए पटवारी के आरोप को निराधार एवं असत्य कहा है।
निलंबित पटवारी लल्ली मेश्राम के द्वारा 13 मई को राज्यपाल को संबोधित आवेदन पत्र, जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग तथा कलेक्टर दंतेवाड़ा को भेजी गई है, जिसमें लल्ली मेश्राम के द्वारा एसडीएम एवं तहसीलदार दंतेवाड़ा पर आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करने आवेदन किया गया है। यह आवेदन सोशल मीडिया में भी अपलोड किया गया है।
इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि चूंकि लल्ली मेश्राम के द्वारा शासकीय नियम एवं प्रक्रिया अनुसार की गई स्थानांतरण कार्रवाई तथा उपरांत किये गये कार्रवाई पर आरंभ से जिला प्रशासन पर अनर्गल आरोप लगाते हुए पत्राचार करना, आचरण नियमों के विरूद्ध कृत्य करना तथा अधिकारियों के छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता रहा है।
दो वर्ष से अधिक अवधि से एक ही स्थान पर कार्यरत पटवारियों को अन्य हल्के में स्थानांतरण करने के शासन के निर्देश के तहत् अनुविभाग दंतेवाड़ा के पटवारियों को पदस्थ हल्के से अन्य हल्के में पदस्थापना किया गया है। पूर्व में भी लल्ली मेश्राम का कुम्हाररास से अन्य हल्के में स्थानांतरण किया गया था। उनके द्वारा पारिवारिक समस्या बताये जाने पर आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उसी हल्के में कर्तव्यरत रखा गया। श्रीमती मेश्राम विगत 10 वर्षों से एक ही हल्के में कार्यरत होने पर अन्य हल्के में स्थानांतरण किया गया, किन्तु उनके द्वारा नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हुए तथा एवजीदार कर्मचारी को ग्राम राजस्व रिकार्ड न सौंपते हुए अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखा गया तथा अनर्गल शिकायत किया जाता रहा।
ग्रामवासियों से शिकायत प्राप्त होने पर तथा उनके द्वारा रिकार्ड नहीं सौंपे जाने पर, आचरण नियमों के विपरीत कृत्य पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सेवा से निलंबित किया गया। श्रीमती मेश्राम के द्वारा निलंबन पर नियत मुख्यालय में भी आज तक अपनी उपस्थिति नहीं दी गई है। साथ ही निलंबित कर्मचारियों द्वारा अन्यत्र कोई कार्य नहीं करने संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण निर्वाह भत्ता भी तैयार नहीं किया जा सका है।
इस संबंध में बताये जाने पर उनके द्वारा आर्थिक व मानसिक प्रताडऩा का अनर्गल आरोप जिला प्रशासन पर लगाया जा रहा है। विभागीय जांच में इनके द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है। स्थानांतरण के संबंध में इनके द्वारा उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में एक याचिका भी दायर की गई थी। न्यायालय ने प्रशासन के द्वारा की गई कार्रवाई को नियमानुकुल माना है।
निलंबित पटवारी लल्ली मेश्राम के द्वारा एसडीएम व तहसीलदार पर लगाये जा रहे आरोप पूर्णत: असत्य एवं बेबुनियाद है।
संबंधित के विरूद्ध की गई कार्रवाई शासन के नियमानुसार है। लल्ली मेश्राम निलंबित पटवारी के द्वारा इस प्रकार के पत्राचार कर सिविल सेवा आचरण नियम 21 का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है। उनके द्बारा प्रताडि़त किये जाने का आरोप पूर्णत: निराधार एवं असत्य है।