बालोद

चेतावनी मिलते ही बढ़ाया भत्ता, तीन माह बाद भी मजदूरों के हाथ खाली
16-May-2022 3:00 PM
चेतावनी मिलते ही बढ़ाया भत्ता, तीन माह बाद भी मजदूरों के हाथ खाली

यूनियनों ने दल्लीराजहरा माइंस प्रबंधन को दी थी चेतावनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 16 मई।
भारतीय मजदूर संघ, एटक और इंटक के नेताओं ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 6 जनवरी 2022 को तीन श्रम संगठनों (बीएमएस, एटक और इंटक) द्वारा ठेका श्रमिकों के हितार्थ एक समझौता बीएसपी प्रबंधन के साथ किया गया था, जिसमें खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों एवं उनके परिवार को मेडिकल सुविधा मुहैया कराने एवं सभी ठेका श्रमिकों को भत्ते के रूप में रुपये 150 प्रतिदिन देने पर सहमति  बनी थी।

उक्त मांग तीनों श्रम संगठनों ने 14 दिसबंर 2021 को प्रबंधन के समक्ष रखा था, जिस पर प्रबंधन द्वारा चर्चा कर समुचित हल नहीं निकालने पर 7 जनवरी 2022 से हड़ताल करने की बात कही गयी थी और उक्त मांगपत्र की एक प्रति उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर को भी प्रेषित की गयी थी। इस मुद्दे पर एक श्रम संगठन सीएमएसएस ने श्रमिकों के लिए वेतन का 10 फीसदी भत्ते की मांग की थी जबकि सीटू ने ना तो मेडिकल सुविधा ना ही भत्ते की कभी मांग की थी। किंतु श्रेय लेने की दौड़ में हमेशा की तरह बिना कुछ किए सबसे आगे रहने का प्रयास कर रहे हैं।

उक्त  समझौते से परेशान होकर सीटू ने श्रमिकों को बरगलाकर, गलत जानकारी देकर 7 जनवरी 2022 को औद्योगिक अशांति बनाने का प्रयास किया और प्रबंधन के साथ एक समझौता किया गया, जिसे आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया, जबकि तीनों श्रम संगठनों द्वारा किए गए समझौते को उसी दिन सार्वजनिक कर दिया गया था। सीटू यूनियन हमेशा से कर्मियों और ठेका श्रमिकों को बरगलाता आया है। और ऐसी मांगे प्रबंधन के समक्ष रखता आया है जो किसी भी तरह से विधिसंगत नहीं होती।

इस प्रकरण में भी सीटू द्वारा ठेका श्रमिकों को उनके का  वेतन का 25 फीसदी राशि भत्ते के रूप में देने की बात कही जा रही है जिसमें वे मूल वेतन और डीए दोनों पर भत्ते की मांग कर रहे हैं जो कि गलत मांग है यह बात सीटू के नेताओं को भी पता है। उसके बाद भी उनका कहना है कि इस फार्मूले से श्रमिकों का भत्ता हर छह माह में बढेगा, जबकि यह संभव नहीं है  क्योंकि हर छह माह में ठेका श्रमिकों का दैनिक भत्ता बढ़ता है ना कि मूल वेतन और कोई भी भत्ता मूल वेतन पर ही मिलता है। इनके इस अवैधानिक मांग के कारण खदान के सभी ठेका श्रमिकों को नुकसान हो रहा है।

जहां तक तीनों श्रम संगठनों का सवाल है तीनों श्रम संगठनों ने प्रबंधन पर मेडिकल सुविधा तत्काल शुरू करने हेतु दबाव डाला जिस पर प्रबंधन ने जानकारी दी कि पूर्व सहमति के अनुसार राजहरा के तीन अस्पताल नंदिनी और हिर्री के एक-एक अस्पताल को चिन्हित कर लिया गया है।  जहां ठेका श्रमिक अपना और अपने  परिवार का इलाज करा सकेंगे ।गंभीर बीमारी के इलाज के लिए इन तीनों अस्पतालों को रायपुर व भिलाई के बड़े निजी अस्पतालों से अनुबंध करने  को कहा गया है जो कि प्रक्रियाधीन है।

 मेडिकल सुविधा की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने हेतु प्रबंधन द्वारा  यह जानकारी  दी गई है कि शीघ्र ही भिलाई से एक टीम खदानों का दौरा कर इस पर अंतिम मुहर लगाएगी। जहां तक भत्ते का सवाल है तो तीनों श्रम संगठन यह मांग करते हैं कि सभी ठेका श्रमिकों को समान रूप से  150 रुपए दैनिक भत्ता दिया जाए और प्रतिशत के आधार पर श्रमिकों के साथ किसी तरह का भेदभाव  ना किया जावे साथ ही उक्त  भत्ता एक अप्रैल  2022  से एरियस के साथ  दिया जावे। तीनों श्रम संगठन सभी ठेका श्रमिकों से यह अपील करते है कि सीटू द्वारा किए गए समझौते को सार्वजनिक करने की मांग करें और समझौते पढक़र  सही गलत का चयन करें क्योंकि भत्ता हमेशा मूल वेतन पर मिलता है भत्ते पर नहीं। इसलिए बार-बार श्रमिकों को मिलने वाले भत्ते और मेडिकल सुविधा में सीटू यूनियन द्वारा जो  अड़ंगा डाला जा रहा है, उससे राजहरा खदान के सभी ठेका श्रमिकों को मिलने वाली मेडिकल सुविधा और दैनिक भत्ते में देरी हो रही है।

सीटू के द्वारा बार बार  अनिश्चितकालीन हड़ताल और धरना का आह्वान करके श्रमिकों को बरगलाने का प्रयास किया जा रहा है उससे सावधान रहें क्योंकि सीटू ऐसी यूनियन है जो ठेका श्रमिकों के लिए किए समझौते को आज ठेका श्रमिकों को नहीं दिखा रही है उससे सभी ठेका श्रमिकों को समझ जाना चाहिए कि आपका हित कौन चाहता है और कौन आपकी ताकत का उपयोग कर खदान में अशांति फैलाना चाहता है। रही बात मेडिकल सुविधा और दैनिक भत्ते की तो इन  दोनों के लिए प्रबंधन अपनी सहमति जता चुका नहीं है मगर सीटू की अवैधानिक मांग के कारण श्रमिकों को मिलने वाले मेडिकल और भत्ते की राशि में अड़ंगा लग रहा है।

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