बीजापुर
उधर कर्मचारी हड़ताल पर, इधर मनरेगा में पलीता लगाने की तैयारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 16 मई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मेंं एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। बिना मजदूरों के काम के ही मस्टररोल जारी कर दिया गया। जब इस बात की सच्चाई सामने तो हडक़ंप मच गया और जिम्मेदारों ने इसे जीरो करने की बात कह दी।
इस बारे में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बीजापुर फागेश सिन्हा का कहना है कि मस्टररोल ग्रामीणों की मांग पर निकाला गया था, लेकिन काम नहीं होने पर उसे जीरो कर दिया गया है। लेकिन उन्होंने ग्रामीणों ने काम क्यों नहीं किया, इसका उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का मुख्य उद्देश्य मजदूर परिवारों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराना है। मांग आधारित ग्रामीण मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की मूल भावना के विपरीत बीजापुर जनपद में खाली मस्टररोल निकाले जाने की लगातार खबरें आ रही है।
सूत्रों से जानकारी के मुताबिक बीजापुर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नैमेड में गौठान स्थल में भूमि विकास कार्य 29 अप्रैल से 5 मई तक के इस कार्य का मस्टर रोल जारी किया गया है। साथ ही नवीन तालाब निर्माण कार्य नदीपारा का मस्टर रोल 1 मई से 7 मई तक जारी किया गया है, जिसमें किसी भी लेबर ने काम नहीं किया है। वहीं इसी तरह ग्राम पंचायत संतोषपुर में द्वितीय श्रेणी सडक़ निर्माण कार्य का मस्टर रोल निकालकर वेजलिस्ट जनरेट किया गया है। वर्तमान में जो मस्टर रोल भरा गया है, उसमें किसी भी लेबर ने काम नहीं किया है।
सूत्रों के मुताबिक उक्त ग्राम पंचायतों में किसी अन्य ग्राम पंचायतों के मजदूरों से कार्य कराए जा रहे हैं। इधर 4 अप्रैल से मनरेगाकर्मी हड़ताल पर हैं और उधर मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना पर पलीता लगाने की तैयारी चल रही हैं। बहरहाल हड़ताल का नतीजा जो भी हो पर विगत एक माह में मनरेगा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की बजाए अधिकारी योजना की मूलभावना के विपरीत कार्य करवा रहे हंै। मजदूरों के खाते में जो बड़ी राशि रोजगार के एवज में जानी थी, वह नहीं जा पाई। इसके चलते मजदूर पलायन को मजबूर हो रहे है।ं
ऑनलाइन रिपोर्ट को गौर करें तो बीजापुर जिले में विगत वित्तीय वर्षो में इस सीजन में रोजाना लगभग 14235 से ऊपर मजदूर मनरेगा अंतर्गत कार्य करते है। उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल माह मे 10766 परिवारों को रोजगार मुहैया कराया गया था। वहीं हड़ताल के चलते इस वित्तीय वर्ष 2022-23 के अप्रैल माह में मात्र 0 परिवारों को ही रोजगार उपलब्ध कराया गया है, जो कि विगत वर्ष की तुलना में 0 प्रतिशत ही है।
जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल माह 192325 मानव दिवस सृजित किए गए थे जबकि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में 0 मानव दिवस ही सृजित हुए हैं जो कि विगत वर्ष की तुलना में 0 प्रतिशत है।
इस वर्ष अप्रैल माह में 170 ग्राम पंचायतों में शून्य मानव दिवस सृजित हुआ है अर्थात जिले के 100त्न प्रतिशत ग्राम पंचायतों में कार्य नहीं किया जा रहा है।
शिकायत निवारण प्रणाली है मजबूत
महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत शिकायत की सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में लोकपाल की नियुक्ति की जाती है । इसी प्रकार मनरेगा अंतर्गत कराए गए कार्यों का ग्राम पंचायत स्तर में सोसल आडिट होता है। इसके लिए बकायदा जिले में सोशल आडिट यूनिट स्थापित है।