बीजापुर
मेजर से माइनर तक के टेस्ट के लिए अब नहीं जाना पड़ता बाहर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 16 मई। कभी छोटे से छोटे मर्ज के जांच के लिए मरीजों को जगदलपुर या वारंगल का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब बदलती व्यवस्था ने इसमें भारी गिरावट लाई है। जिला अस्पताल बीजापुर में अब मेजर से माइनर तक के टेस्ट यहां के सर्वसुविधा युक्त लैब में किया जा रहा है।
फरवरी से शुरू हुए वातानुकूलित प्रयोगशाला में चौबीसों घण्टे विभिन्न नमूनों की जांच की जा रही है। रोजाना इस लैब में करीब ढाई हजार ब्लड सेंपल लेकर उसका परीक्षण किया जा रहा है। जैव रसायन, रूधिर विज्ञान, नैदानिक विकृति विज्ञान के सैंपल के लिए यहां विशाल रक्त संग्रह और प्रसंस्करण क्षेत्र हैं। लैब में परिष्कृत स्वचलित जैव रसायन विश्लेषक हैं। सेल काउंटर और नमूना योग्य तकनीशियनों द्वारा संचालित किया जा रहा है। साथ ही लैब कर्मी समय पर रिपोर्ट करते हंै।
जिला अस्पताल में शुरू हुई हमारा लैब गुणवत्ता के साथ विशेष परीक्षण कर रहा हैं। फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी( एसएनएसी) जो कैंसर के मामलों की प्रारंभिक जांच में मदद करता है। साथ ही स्त्री रोग संबंधी रोगों के निदान में पैप स्मीयर, द्रव विश्लेषण सहित नैदानिक विकृति विज्ञान बांझपन के मामलों का पता लगाने में शुक्राणु विश्लेषण, एनीमिया टाइपिंग के लिए परिधीय पैथोलॉजिस्ट के अधीन काम कर रहे है। यह चिकित्सकों को मामलों से निपटने में मदद कर रहा है। वहीं जैव रासायनिक परीक्षण जैसे एचबीए 1 सी( मधुमेह) किडनी फंक्शन थाइराइड प्रोफाइल और ट्यूमर मार्कर सीए - 125 डॉक्टरों को रोगों का जल्द पता करने व उनके निराकरण में मदद करता है। यहां सभी जांच नि:शुक्ल किये जाते हैं। सिविल सर्जन अभय सिंह तोमर की मानें तो जिला अस्पताल में आधुनिक सुविधाओं लैस हमारा लैब की शुरुआत के बाद से रेफर मरीजों की संख्या में काफी गिरावट आई है।
उनका कहना है कि पहले ज्यादातर ब्लड सेंपल की जांच सुविधाओ के आभाव में यहां नहीं हो पाते थे, और मरीजों को बाहर रेफर किया जाता था। लेकिन हमारा लैब की स्थापना के बाद अब रेफरल केस में भारी गिरावट आई हैं।
सिविल सर्जन तोमर ने आगे बताया कि ट्रूनॉट डी डिमेर आईएल-6 सीरम फेरेटिन जैसे परीक्षण करके कोविड रोगियों के इलाज में यह लैब महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। लैब के कर्मचारी अस्पताल प्रबंधन के सहयोग से अच्छा काम रहे हैं।