कोरिया
महिने में एक-दो दिन ही पर्यटक आ पाते हैं
विश्व संग्रहालय दिवस विशेष...
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 18 मई। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर पुरातत्व विभाग के द्वारा स्थापित जिला पुरातत्व संग्रहालय स्थित है। परन्तु यहां महिने में एक दो दिन ही पर्यटक आ पाते है। यहां पुराने वाद्य यंत्र, बांस के बने औजार, बर्तन के साथ कई स्थलों के फोटोग्राफ लगाए गए है, जबकि जिले के कई क्षेत्र में ऐसे सैकड़ोंं अवशेष बिखरे पड़े है, जिन्हें अब तक लाकर संजोया नहीं गया है।
कोरिया जिले के बैकुंठपुर शहर के सिविल लाइन में जिला पुरातत्व संग्रहालय कोरिया स्थित है। वर्ष 2017 में तत्कालिन कलेक्टर एस प्रकाश ने इसकी शुरूआत की थी। शुरूआती दौर में इसके देखने लोग आए भी, परन्तु शुभारंभ के कुछ माह बाद लोगों के साथ पर्यटकों को भी आना बंद हो गया, शुरूआती दौर में विजिटर बुक रखी गई थी, लोगों के ना आने के बाद उसे भी हटा लिया गया। इस पुरातत्व संग्रहालय को शुभारंभ के समय जितना सामान रखा गया था उसके बाद से उतना हीं सामन जस का तस है। जिसके कारण लोगों में दिलचस्पी काफी कम हो गयी।
अवशेषों को सहेजने में कोताही
कोरिया जिले में कई ऐतिहासिक स्थल है, जहां पुरातत्व से जुड़े कई अवशेष बिखरे पड़े है, जिनमें सोंस चिरमी स्थित कोडय़ागढ़ पहाड़ यहां कोल एवं बालंद वंश के राजाओं की राजधानी हुआ करती थी, इसके अलावा चौहान वंश की चिरमी, धवलपुर, नगर,बिशुनपुर, पोड़ी, सोनहत और फिर बाद में बैकुंठपुर राजधानी बनी। यहा कई रॉक कटिंग गुफाएं है, जिनमें रामगढ़ का गांगीरानी, रामगढ़ सीतामढ़़ी, सोनहत शिवगुफा, जनकपुर हरचौखा, छतौड़़ा की गुफा, कंजिया की गुफा, घाघरा की गुफा स्थित है इनमें कई पुरातत्व अवशेष बिखरे पड़े है, जिसको संग्रहित करना बेहद जरूरी हो चुका है। कई प्राचीन गढ़ है जहंा काफी संख्या में अवशेष बिखरे पड़े है। जिनमें कोडया गढ, मुरैलगढ़, देवगढ़, छूरीगढ, नांदभान देवगढ़, सेंदरीगढ़, माछ़ीगढ़, भेड़ागढ़, शिवगढ़, गढपहाड़, कांहरगढ है। यहां राजाओं ने राज किया। इसके अलावा कई प्राचीन देवी स्थल भी विद्यमान है।