दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 19 मई। मुख्यमंत्री द्वारा गौठानों में पशुओं के चारे के लिए पैरादान की जो अपील खरीफ फसल के वक्त की गई थी उसका सकरात्मक असर रबी की फसलों में भी देखने को मिल रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि रबी की फसल के पश्चात् बचने वाले पैरे का उपयोग ग्रामीणों द्वारा पैरादान में किया गया। पीपरछेड़ी, खपरी, थनौद और अंजोरा (ख) के किसानों ने इस प्रक्रिया में अपने हिस्सेदारी प्रदर्शित कर पैरादान को एक नई दिशा दी है।
जिला पंचायत के सीईओ अश्वनी देवांगन उक्त गांव में ही नरवा, गौठान और चारागाह का निरीक्षण करने के लिए गए थे। भीषण गर्मी को देखते हुए उन्होंने गौठानों में पशुधन के रख-रखाव के बारे में सचिवों से जानकारी ली। इस अवसर पर गौठान में उपस्थित सचिवों ने उन्हें बताया कि किसानों द्वारा किए जा रहे पैरादान से पशुओं के पर्याप्त चारा उपलब्ध है और पानी की भी उचित व्यवस्था की गई। इसके अलावा उन्होंने आने वाली खरीफ फसल को ध्यान में रखते हुए वर्मी कंपोस्ट खाद के उत्पादन की स्थिति का भी जायजा लिया और गौठानों में कार्य कर रही स्व सहायता की महिलाओं को निर्देशित किया कि गोबर की खरीदी को निरंतर जारी रखकर वर्मी कंपोस्ट खाद की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।
ताकि हमारे जिले के किसान डी.ए.पी., यूरिया या अन्य रसायनिक खादों पर निर्भर न हो और जैविक खेती की ओर आगे बढ़े। इसके साथ-साथ उन्होंने इन क्षेत्रों में स्थित नालों व नरवों का भी परीक्षण किया।