कोरिया

कोरिया के ग्रामीण इलाके में तैयार शहद की ऑनलाइन बिक्री, एयरपोर्ट में भी स्टॉल
19-May-2022 3:43 PM
कोरिया के ग्रामीण इलाके में तैयार शहद की ऑनलाइन बिक्री, एयरपोर्ट में भी स्टॉल

20 मई विश्व मधुमक्खी दिवस पर विशेष

28 किसानों के समूह कर रहे हंै बड़े स्तर पर मधुमक्खी पालन

चंद्रकांत पारगीर
बैकुंठपुर (कोरिया),  19 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
कोरिया जिले का मधुरस (शहद) देश के कई एअरपोर्ट में बिक रहा है, पहली बार किसानों के समूह के माध्यम से मधुमक्खी पालन में कोरिया जिले के उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, अब इसकी ऑनलाइन बिक्री होती है। ऐसा तब जब शहद को लेकर बाजार में पतंजली के अलावा कई नामचीन कंपनियां सामने है, समूह के पास अपने प्रोडक्ट की ब्राडिंग के साथ इसके प्रचार प्रसार के लिए इतने पैसे भी नहीं थे। इसके पीछे मजबूत इरादा, टीम वर्क, मेहनत, लगन और कुछ नया करने की जिद ने कोरिया के मधुमक्खी पालन को एक नई पहचान दी है।

हम बात कर रहे है कोरिया के कृषि विज्ञान केन्द्र की सहायता से मधुमक्खी पालन का काम कर रहे किसानों के स्वयं सहायत समूहों की। इसमें मधुमक्खी पालन का काम शुरू हुआ, इस काम से अंजान लोगों को पहले कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक रंजीत सिंह राजपूत ने प्रोत्साहित किया। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित कर उन्हें अच्छी प्रजाति की मधुमक्खियां लाकर दी गई। जिसके बाद बीते तीन वर्षो से मधुमक्खी पालन कमाई का जरीया बन गया है। कोरिया के ग्रामीण क्षेत्र तिलवनडांड, नगर, बिशुनपुर के साथ आसपास के दर्जनों गांव के किसान इससे जुडे हुए है, इसमेे जुडे 579 किसान सिर्फ मधुमक्खी पालन ही नहीं करते, फसल उगाने के बाद राईस मिल, दाल मील, कई तरह के सुगंधित तेल और साबून का निर्माण भी करते है, परन्तु इनके शहद को काफी नाम मिल रहा है। लोग इसे खासा पसंद कर रहे है। इसकी ऑनलाइन बिक्री बढती जा रही है।

करमा नाम से है ब्रांड
कोरिया के स्थानीय त्यौहार करमा के नाम शहद का निर्माण कार्य शुरू किया गया, कोरिया के 579 किसानों का एक समूह बनाया गया, जिसे एक कम्पनी का नाम देकर इसकी शुरूआत की गई। कम्पनी का नाम कोरिया एग्रो प्रोड्युसर कम्पनी है, इसमें एमबीए पीएचडी कर चुके तीलवनडांड के किसान फयाज आलम किसानों के प्रमुख है। मधुमक्खी पालन में 28 किसान लगे हुए है। पहले वर्ष 2019 में इससे मात्र 47 हजार की आय हुई, दूसरे वर्ष 98 हजार 500 और 2021 में 2 लाख 10 हजार की आय हुई है। इस वर्ष इसे और बड़े पैमाने पर करने की योजना पर काम किया जा रहा है।

मधुमक्खी पालन से लेकर शहद प्रसंस्करण तक
इस कार्य में लगे 28 किसानों को मधुमक्खी पालन की हर सुविधा प्रदान की गई, अलग अलग किसानों को अलग अलग मधुरस शहद बनाने का जिम्मा दिया गया। जैसे तुलसी का शहद के लिए उनके आसपास काफी मात्रा में वन तुलसी की खेती भी की गई। जिसके बाद डिब्बो से मधुरस निकालना और फिर शहद को डिब्बे से बाहर निकाल कर एक बड़े गंज में रखकर उसे बडे गंज को पानी में रखकर गर्म की प्रक्रिया से गुजर कर उसे प्रसंस्कृत कर बढिया पैकेजिंग कर बाजार में उतारा जाता है। इनका अपना लैब है जहां पूरी जांच के बाद ही बिकने का तैयार होता है। यहां 4 प्रकार के शहद तैयार किए जाते है फारेस्ट हनी, करंज हनी, वन तुलसी हनी और नेचुरल तुलसी है। इनका शहद बाजार में मिलने वाले शहद की तुलना में काफी सस्ता भी है।

मधुमक्खियों का परिवार
मधुमक्खी पालन को लेकर फैयाज आलम बताते हैं कि मधुमक्खियों के एक परिवार में एक रानी कई हजार कमेरी और 100 से 200 नर होते है।
रानी मधुमक्खी पूर्व मादा होती है इसका काम अंडे देना होता है, इटालियन जाति की मधुमक्खी 1500 से 1800 अंडे देती है जबकि भारतीय जाति की 700 से 900 अंडे देती है, इनकी औसतन उम्र 2 से 3 वर्ष होती है। कमेरी मधुमक्खी अपूर्ण मादा होती है इनको श्रमिक भी कहा जाता है, इनका काम अंडों का पालन करना, फलो, पानी के स्त्रोतों का पता लगाना, पराग एवं रस एकत्रित करना, इनकी उम्र 2 से 3 माह होती है। नर मधुमक्खी का काम सिर्फ संभोग करना उसके तुरंत बाद इनकी मौत हो जाती हैं, इनकी आयु 60 दिन होती है। हमें इनका पालन करते समय इनका पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
 

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