सरगुजा

पेड़ बचाओ हसदेव बचाओ का नारा बुलंद कर संघर्ष समिति की प्रथम परिचर्चा बैठक
19-May-2022 9:46 PM
पेड़ बचाओ हसदेव बचाओ का नारा बुलंद कर संघर्ष समिति की प्रथम परिचर्चा बैठक

सैकड़ों लोगों ने पेड़ व पर्यावरण को बचाने लिया संकल्प

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,19 मई।
लाखों पेड़ों की कटाई पर चिंता करते हुए पेड़ बचाओ हसदेव बचाओ संघर्ष समिति सरगुजा के तत्वावधान में राजमोहिनी भवन में परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें नगर के अधिवक्ता, पत्रकार, खेल-सामाजिक, व्यापारी संगठन, चिकित्सक, सीए, निजी शिक्षण संस्थान, साहित्य संगठन, योग परिवार, लघु उद्योग, परिवार, वन सिंचाई व लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, छात्र संगठन, सांस्कृतिक क्षेत्र जनजातीय समाज सहित अनेक क्षेत्रों से उपस्थित बुद्धिजीवी क्षेत्र विशेषज्ञ व गणमान्य नागरिकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। जिसमें उन्होंने पेड़ व पर्यावरण को बचाने  संकल्प लिया।

लगातार बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, ओलावृष्टि, असमय आने वाले तूफान चक्रवात ने पृथ्वी पर जीवन को असामान्य कर दिया है। बेतरतीब पेड़ों की कटाई कोयला बॉक्साइट सहित विभिन्न भू तत्व धातुओं के लिए हो रहे भूस्खलन के कारण सरगुजा की जलवायु में भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। सरगुजा के दक्षिण क्षेत्र में स्थित परसा, साल्ही, हरिहरपुर, घाटबर्रा,जनार्दनपुर व चारपारा ग्राम में परसा टू के नाम से खुली खदान के रूप में कोल उत्खनन के लिए मिली अनुमति ने 3.5 लाख से अधिक पेड़ों के कट जाने से सरगुजा की स्वच्छ जलवायु पर घोर संकट मंडरा रहा है।

प्रतिनिधियों ने पेड़ बचाने को लेकर बनी संघर्ष समिति के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

उपस्थित लोगों ने अपने सुझाव देते हुए इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से जलवायु प्रभावित होने के साथ-साथ जंगली जानवरों पक्षियों के विलुप्त होने के खतरे पर चिंता जाहिर की, वहीं पर जंगलों के कट जाने से हाथियों के और अधिक आक्रामक होने का खतरा बढ़ जाने की बात बोली तो किसी ने तापमान के 50 दिन तक पहुंचाने की आशंका जताई। किसी ने जंगलों के ग्रामीणों की आजीविका पर सीधे प्रभाव पडऩे की चिंता थी तो किसी ने जमीन में जल स्तर बेहद नीचे तक चले जाने की बात कही। किसी ने इस क्षेत्र को राम वन गमन क्षेत्र होने के कारण इसके सनातन अस्तित्व समाप्त हो जाने पर दुख प्रकट किया।

सुझाव के क्रम में किसी ने चिपको आंदोलन की तर्ज पर तो किसी ने जन जागरण किसी ने पदयात्रा किसी ने भूख हड़ताल से समस्या के समाधान का प्रस्ताव रखा, किसी ने न्यायालय में याचिका दायर करने की बात कही तो किसी ने मानसून की बारिश हो जाने से नदी नालों तालाब में होने वाले घोर जल संकट की ओर इंगित किया।उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से सामूहिक संघर्ष पर जोर देते हुए इस समस्या के निष्पादन के लिए लंबे समय तक एकजुट रहने का आह्वान किया।

परिचर्चा का संचालन निलेश सिंह व विनोद हर्ष तथा आभार प्रदर्शन हरमिंदर सिंह टिन्नी ने किया।

इस अवसर पर रामनिवास गुप्ता,आरएन गुप्ता,त्रिलोक कपूर कुशवाहा,राज बहादुर शास्त्री,बंदना दत्ता,डॉ. अंजु गोयल,श्रीमती इति चतुर्वेदी,आर्ट ऑफ लिविंग परिवार से विनोद अग्रवाल,लेखराज अग्रवाल,अजय तिवारी, डॉक्टर योगेंद्र गहरवार,डॉ. एमपी जैन,सेवानिवृत्त वन परिक्षेत्र अधिकारी विनोद सिन्हा,सेवानिवृत्त अधिकारी राजेंद्र सिंह कौशल,चंद्र प्रताप सिंह,कांत दुबे, डॉ. अमीन फिरदोसी,अनुराग सिंह देव,अंबिकेश केसरी,सीए अतुल गुप्ता,विद्यानंद मिश्रा,अधिवक्ता अशोक दुबे,धनंजय मिश्रा,श्वेता गुप्ता,चैती अग्रवाल,श्रीमती अनुभा डबराल,डॉ देवेश शुक्ला,संतोष दास,जन्मेजय मिश्रा,सोमनाथ सिंह,व्यापारी संघ के मुकेश अग्रवाल,जेएस वर्मा,अजीत अग्रवाल,आंचल जयसवाल,बिहारीलाल तिर्की,निश्चल प्रताप सिंह,राजेश सिंह,नीरज वर्मा,वेद प्रकाश शर्मा,सर्वजीत पाठक,शैलेश प्रताप सिंह,पीयूष त्रिपाठी,अनिल तिवारी,अभय साहू, मनोज कंसारी,अंजली दुबे,नछत्तर सिंह,शंकर लाल गुप्ता,सिकंदर जायसवाल,रिंकु त्रिपाठी,कमलेश सोनी, लव कुमार,संतोष कुमार मिश्रा,आकाश श्रीवास्तव, निशांत गुप्ता,संत नायक,अंकित जायसवाल,मार्कंडेय तिवारी,अभिमन्यु श्रीवास्तव,बाबू विश्वकर्मा,संजीव वर्मा, धनंजय द्विवेदी,अनिकेत गुप्ता,उपेंद्र यादव,रवि सोनी, छोटे लाल माथुर,मनोज प्रसाद,किशोर सिंह बघेल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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