राजनांदगांव

‘मीठे पानी’ ने रिश्तों में घोली मिठास
20-May-2022 2:04 PM
‘मीठे पानी’ ने रिश्तों में घोली मिठास

  अंबागढ़ चौकी के दो दर्जन गांवों में आर्सेेनिकयुक्त पानी से था रोटी-बेटी बंद  
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 20 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। अंबागढ़ चौकी ब्लॉक के आर्सेेनिकयुक्त प्रभावित दो दर्जन गांवों में ‘मीठा पानी’ की धार बहते ही रोटी-बेटी का चलन फिर से लौटा आया है। आर्सेनिक समूह जल प्रदाय योजना के अधीन अंबागढ़ चौकी के दो दर्जन गांवों को शामिल किया गया।

इस संबंध में पीएचई के ईई एसएन पांडे ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि नदी का पानी फिल्टर कर इन गांवों में सप्लाई की जा रही है। इन गांवों की सालों पुरानी समस्या को दूर होने से ग्रामीणों के व्यवहारिक और निजी जिदंगी में भी सकारात्मक बदलाव आए हैं।

ब्लॉक के 23 गांवों के ग्रामीण आर्सेनिकयुक्त पानी पीकर न सिर्फ बीमारग्रस्त बल्कि सामाजिक तिरस्कार झेलते रहे हंै। इन गांवों में दूषित पेयजल से ग्रामीणों की दीगर गांवों से वैवाहिक व अन्य सामाजिक रिश्तेदारी भी बिगड़ गई थी। अंबागढ़ चौकी के आसपास के बड़े-छोटे गांवों को मिलाकर दो दर्जन गांवों में आर्सेनिक पानी से हर तबके की तबीयत हमेेशा खराब रही।

बताया जाता है कि समूचे छत्तीसगढ़ में अंबागढ़ चौकी ब्लॉक ही आर्सेनिक पानी की समस्या से घिरा रहा है। इन गांवों की पानी की समस्या इस कदर खराब हो चली थी कि दूसरे इलाकों के लोग सामाजिक संबंध विशेषकर वैवाहिक गठजोड़ के खिलाफ हो चले थे। कुछ सालों तक रोटी-बेटी के चलन पर अघोषित रूप  से  रोक लगी रही।

आर्सेनिक पानी पीकर प्रभावित गांवों  के लोग हमेशा चर्म, पेट, और खानपान की समस्या से घिरे रहे। अंबागढ़ चौकी के इन गांवों में पानी में मौजूद आर्सेनिक मेटेलॉयड के कण से लोगों की चमड़ी काली और धब्बेदार देखकर दीगर गांवों की दूरी बढ़ गई थी।

वर्ष 2017 में ग्रामीण स्वास्थ्य यांत्रिकी के अफसरों ने विशेष प्लान शुरू किया गया। इसके जरिए कौड़ीकसा, बांधाबाजार, पांगरी, सोनसायटोला, आतरगांव समेेत अन्य गांवों में शिवनाथ नदी के पानी की सप्लाई करने पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया।

आर्सेनिक पानी से छुटकारा दिलाने के लिए पीएचई के आलाधिकारियों ने अंबागढ़ चौकी में एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से स्वच्छ-जल की आपूर्ति शुरू की।

आर्सेनिक पीडि़त गांवों में जैसे ही मीठे पानी यानी नदी का जल की धार बही, आपसी रिश्तेदारी के पट भी खुल गए। गुजरे सालों में साफ पानी पीने से आर्सेनिक प्रभावित गांवों के बांशिदों की सेहत दुरूस्त हो गई है। इन गांवों मेें न सिर्फ स्थानीय क्षेत्रों से बल्कि महाराष्ट्र से भी लोगों की नजदीकी बढ़ी है।

आर्सेनिक पानी के चलते इन गांवो में लोगों के यहां करीबी रिश्तेदार भी आने-जाने से परहेज कर रहे थे। मीठा पानी की धार बहते ही ग्रामीणों के जीवन में मानो मिठास घुल गई।
इधर पीएचई के अफसरों की दूरदर्शी प्लान से ग्रामीणों के लिए काफी असरकारक बना। यही कारण है कि मीठा पानी पीकर इलाके में सामाजिक ताना-बाना भी सशक्त हुआ है।

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news