राजनांदगांव
मुर्गीपालन से समूह की महिलाओं की आमदनी में हुई वृद्धि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 मई। शासन की सुराजी गांव योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जागृति की बयार आई है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम बघेरा में कामधेनु गौठान स्थापित किया गया है। जहां पशुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ, पानी, चारे एवं देखभाल की व्यवस्था एक ही स्थान पर की गई है। पशुधन विकास विभाग द्वारा गौठान में सतत सेवाएं दी जा रही हंै। पशुओं का उपचार, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान का कार्य किया जा रहा है। वहीं समूह की महिलाओं द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट पालन, बकरीपालन एवं विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं।
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मार्गदर्शन में उप संचालक डॉ. राजीव देवरस के निर्देशन में पशुधन विकास विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को नि:शुल्क शिविर के माध्यम से उनको आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
कामधेनु गौठान में पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ डॉ. रौशन नागदेव एवं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी श्री असलम अंसारी द्वारा अब तक 864 पशुओं का उपचार, 82 निकृष्ट देशी बछड़ों का बधियाकरण, 1202 पशुओं को एक टंगिया, गलघोंटू, खुरहां - चपका एवं ब्रुसेलोसिस जैसे संक्रामक रोगों से बचाने टीकाकरण किया गया।
नस्ल सुधार कार्यक्रम अंतर्गत 200 देशी पशुओं को उन्नत नस्ल का कृत्रिम गर्भाधान किया गया। जिससे गिर, साहीवाल एवं मुर्रा जैसे उच्च दुग्ध क्षमता वाली नस्लों के 58 वत्स कृषकों को प्राप्त हुए हैं। आगामी समय में उन्नत नस्ल के पशु तैयार होंगे उनकी दुग्ध क्षमता देशी गायों से अधिक होगी एवं अधिक मात्रा में दुग्ध बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत होगी। कृषकों की आय दुगुनी करने की दिशा में यह एक प्रभावशाली सशक्त कदम होगा।
पशुपालन विभाग द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के तहत 6 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया, जिससे उन परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। गौठान में गौ माता महिला स्वसहायता समूह के द्वारा 1180 नग सोनाली नस्ल की देसी मुर्गियों का पालन किया जा रहा है, जिन्हें समय-समय पर रानीखेत, फाउल-पोक्स जैसे संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण क्षेत्राधिकारी असलम अंसारी द्वारा किया गया।
वर्तमान में समूह द्वारा 300 नग मुर्गियों का विक्रय किया गया है। जिससे समूह को 66 हजार 500 रूपए की आय प्राप्त हुई एवं समूह की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। शेष मुर्गियों का विक्रय भी कुछ दिनों में किया जाएगा। जिससे समूह को लगभग 2 लाख 25 हजार रूपए की आय होने की संभावना है। मुर्गीपालन से प्राप्त आय से उत्साहित महिला समूह द्वारा आगामी माह में पुन: 1500 नग सोनाली नस्ल के देसी चूजे पालने के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है।