महासमुन्द
ग्रामीण न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 मई। मनरेगा घोटाले में दूषित जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करके रोजगार सहायक को क्लीन चिट देने वाले चारों जांचकर्ताओं के विरूद्व जिला प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं करने से शिकायतकर्ता इस मामले को न्यायालय में ले जाकर वाद दायर करने की तैयारी में है।
मामला यह है कि कार्यालय जिला पंचायत महासमुंद के मिले दस्तावेज में ग्राम पंचायत घोंच में वर्ष 2020 में बांस प्लाट नया तालाब निर्माण कार्य कुल राशि 19 लाख 58 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति हुआ था। इसमें रोजगार सहायक नृपत सोना द्वारा फर्जी मस्टर रोल भरकर राशि आहरण की शिकायत ग्रामीणों ने की थी।
शिकायत के बाद इस एक ही प्रकरण में 3 अलग-अलग जांच हुआ है। प्रथम जांच में शिकायत सही पाया। द्वितीय जांच में जांचकर्ताओं ने गांंव वालों के आरोप को निराधार बताकर आरोपी को क्लीन चिट दे दिया। ग्रामीणों की मांग पर पुन: तीसरी बार जांच होने पर फिर से शिकायत सही पाया गया।
तीसरे जांच में जांचकर्ताओं ने द्वितीय जांच करने वाले गौरीशंकर पैकरा तकनीकी सहायक, अजय कुमार साहू तकनीकी सहायक, दीपक बढई तकनीकी सहायक एवं रेशमलाल भारती करारोपण अधिकारी के विरूद्व अनुशानात्मक कार्यवाही की मांग कोलेकर सीईओ जिला पंचायत महासमुंद को पत्र लिखा। जिस पर सीईओ ने प्राप्त प्रमाणित दस्तावेज के अनुसार दूषित जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करके क्लीन चिट देने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा तथा सभी गैर जिम्मेदार जांच अधिकारियों ने भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति नहीं होगा, यह लिखकर क्षमा मांगा है। इस कार्रवाई को ग्रामीण उपयुक्त नहीं मान रहे हैं और न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी में हैं।