रायपुर

छत्तीसगढ़ में मनरेगा राशि का सही उपयोग नहीं कर रही सरकार, 150 करोड़ हर साल लैप्स हो रहे-संघ
20-May-2022 9:19 PM
छत्तीसगढ़ में मनरेगा राशि का सही उपयोग नहीं कर रही सरकार, 150 करोड़ हर साल लैप्स हो रहे-संघ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 20 मई। मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी  और कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे ने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि 15 हजार मनरेगा कर्मचारी 16 वर्षों से संविदा मानदेय के अस्थाई पदों पर कार्यरत हैं। कर्मचारी नियमितिकरण संबंधी दो सूत्रीय मांगों को लेकर 4 अप्रैल से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर है। छ.ग. में मनरेगा कर्मचारियों की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में दयनीय है।

उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में 3 हजार से अधिक मनरेगा कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की गई है। इससे मनरेगा कर्मचारियों में भारी आक्रोश है । मनरेगा संविदा कर्मचारी के हित में राज्यों में बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड , उड़ीसा , हिमाचल प्रदेश, पंजाब एवं अन्य राज्यों में नियमितिकरण सहित अगल-अलग कर्मचारीहित नीति बनाई गई है । छत्तीसगढ़ में भी पूर्व में अस्थाई पदों पर सविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया गया है। जिसमे दैनिकवेतन भोगी , शिक्षाकर्मी एवं मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में कार्यरत कर्मचारी हैं । मनरेगा कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए । अपर मुख्य सचिव , वित्त एवं योजना विभाग के ने अस्थाई पद जो 3 वर्ष से अधिक अवधि से निरंतर चल रहे है। ऐसे पदों को स्थाई करने का प्रावधान है । मनरेगा कर्मचारी विगत 16 वर्षों से मनरेगा एक्ट में अस्थाई पदों पर संविदा पर कार्यरत है । जिनके नियमितिकरण से कोई बजट भार नहीं आ रहा है बल्कि प्रतिवर्ष लगभग 150 करोड़ रूपये उपयोग नहीं कारण लैप्स हो रहे है। यह राशि मनरेगा कर्मियों के स्थाईकरण में उपयोग होना चाहिए। दोनों नेताओं ने कहा कि राज्य को सरकार केन्द्र से प्राप्त होने वाली राशि का सही तरीके से नीति नहीं बनाने के कारण उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्रशासनिक लीपा-पोती के कारण लगभग 4 हजार से अधिक कर्मचारी 40 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं 1500 कर्मचारी नियमितीकरण की आस में 45 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं । सरकार द्वारा पूर्व में कर्मचारियों की मांग को लेकर जिस तरह कमिटी गठन कर अभी तक निर्णय नहीं दे पाए। उसी प्रकार सचिव , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति का गठन  6 मई को किया गया है ।

 

 

और आज पर्यन्त तक समिति की बैठक नहीं हो पाई है । जिससे कमिटी की उदासीनता से प्रतित होता है।

कि शासन जो मनरेगा कर्मियों के 47 दिनों से अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी है उस दिशा में सकारात्मक पहल करने की मंशा नजर नहीं आती है जिससे मनरेगा कर्मी काफी आकोशित है । प्रियंका गांधी राष्ट्रीय महासचिव , राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने उत्तरप्रदेश के मनरेगा कर्मचारियों को उ.प्र . सरकार द्वारा गठित कमिटी को एक झांसा बताया । छत्तीसगढ़ में भी क्या ये गठित कमिटी एक झांसा है ? विधायकों द्वारा सहयोग एवं पहल नहीं करने के कारण गांधीवादी विचारधारा के साथ असहयोग आंदोलन किया जावेगा । उल्लेखित है कि संविदा नियम एवं मनरेगा अधिनियम दोनों ही कांग्रेस सरकार की देन है । इस लिए मनरेगा कर्मचारियों को नियमित किया जाना कांग्रेस सरकार महत्वपूर्ण दायित्व है । मनरेगा कर्मियों की नियमितिकरण की मांग इसीलिए प्रबल है : 1. छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा विधान सभा चुनाव 2018 में संविदा कर्मियों को नियमितिकरण का वादा किया गया था । 2. मनरेगा अधिनियम लंबी अवधि तक चलने वाली योजना है । 3. वित्तीय भार नहीं आयेगा । 4. अलग - अलग राज्यों में के लिए नियमितिकरण हेतु नीति निर्धारित किया गया है । ( 5. छ.ग. राज्य में भी संविदा शिक्षक , पॉलिटेक्निक कॉलेज के संविदा व्याख्याता , दैनिक वेतन भोगी , तदर्थ कर्मचारी एवं अन्य कर्मचारियों को पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नियमितिकरण का सौगात दिया गया है । छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ का 2 सूत्रीय मांग निम्नानुसार है 1 . 2 . चुनावी जन घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाये । नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगा फर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू किया जावे ।

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