कोरिया

गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 4 हजार साल पुराने भित्तीचित्र
21-May-2022 4:37 PM
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 4 हजार साल पुराने भित्तीचित्र

दुर्गम, घनघोर जंगलों के पहाड़ों में उकेरे गए है भित्तीचित्रोंं के 18 स्थान

पर्यटन के रूप में विकसित करने मुख्यमंत्री करेंगे पुस्तक का विमोचन

विश्व जैव विविधता दिवस पर विशेष...

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 21 मई। कोरिया जिले में स्थित गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 3 से 4 हजार वर्ष पुराने दर्जनों भित्तीचित्रों की श्रृंखला का पता चला है, भित्ती चित्रों में तब के अनुमान के हिसाब से कई तरह की आकृतियों देखने का मिल रही है, इनका रखरखाव नहीं ंहोने के कारण बारिश, हवा से कई धूमिल होते जा रही है, इनको सहेजने के लिए पार्क प्रबंधन आगे आया है, एक पुस्तक के रूप में सभी 18 स्थानों के फोटोग्राफ को जगह दी गई है, जिसका विमोचन राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 22 मई जैव विविधता दिवस के दिए करेगे।

कोरिया जिले का गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता से भरपूर है, यहां विभिन्न प्रजातियों के पौधों का अंबार है, तो कई तरह के वन्य जीव है जो विलुप्त होते जा रहे है, इसके अलावा पार्क क्षेत्र में ऐसे 18 स्थानों का पता चला है जिसकी उम्र 3 से 4 हजार वर्ष है। छत्तीसगढ़ ऐसे कुछ स्थानों पर पहुंचा जहां बड़े बड़े पहाड़ों पर कई तरह के भित्ती चित्र आज भी देखे जा सकते है। पार्क क्षेत्र के एक हिस्से में बडग़ांवखुर्द नामक गांव है, घनघोर जंगलों के बीच स्थित इस गांव के आसपास 3 से 4 किमी की परिधी में पहाड़ों पर कई तरह के भित्तीचित्र देखने के मिले। गांव वाले उस स्थान को लिखामाड़ा के नाम से जानते है, पीढिय़ों बीत गई यहां के निवासियों को परन्तु ये कितने वर्ष पुराना है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं हो सकी। लिखामाडा के भित्तीचित्रों को लेकर आदिम जाति युग के लेकर जोडा जाता है, यहां पहुंचने के लिए आपको पैदल 3 से 4 किमी पैदल पत्थरीले रास्तों पर चलना होगा।

उज्जैन से आए पुरातत्व विशेषज्ञों की माने तो यहां उकेरे भित्तीचित्र 3 से 4 हजार वर्ष पुराने है, इन भित्ती चित्रों को रामवनगमन मार्ग को लेकर भी देखा जाता है, क्योंकि इनमें धनुष लिए दो व्यक्तियों को दिखाया गया है, इसके अलावा हल चलाता किसान के साथ कई वन्य जीवों के चित्रों के साथ गांव के देवी देवताओं के चित्र भी उकेरे हुए है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक श्री रामाकृष्णन का कहना है कि कल जैव विविधता दिवस पर माननीय मुख्यमंत्री पुस्तक का विमोचन करेंगे, पार्क में 18 साइट्स है जिन्हें पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा।

चूने और खून से बने है चित्र
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 18 स्थान ऐसे है जहां घनघोर जंगलों के बीच स्थित पहाड़ों में कई तरह के भित्ती चित्र उकेरे हुए है, इस क्षेत्र में चूने का बड़ा भंडार है, छत्तीसगढ ने यहां पर काफी मात्रा मे चूने के मिलने को लेकर खबर का प्रकाशन भी किया था, ग्रामीण बताते है, बनाए गए भित्ती चित्र चूने और जानवर के खून को मिला कर बनाया गया है, काफी पुराने होने के कारण रंग थोड़ा हल्का हुआ है, परन्तु कई स्थानों पर आज भी वैसा का वैसा है, वहीं पहाडों की दिवारों पर बने होने के कारण इन तक आसानी से बारिश का पानी पहुंच जाता है, जिसे बचाने के लिए अब पार्क प्रबंधन योजना बना रहा है। ताकि इन्हे पर्यटको को दिखाया जाए और इनका संरक्षण किया जा सके।

दुर्लभ और विलुप्त होते कई जानवर है यहां
 गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर, वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर्स, पक्षी प्रेमियों तथा प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतर स्थान है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बहुत ही अच्छे ढ़ंग से सहेजा गया है। यहाँ अनेकानेक प्रकार के पक्षी, घने पेड़ों व झीलों से सुशोभित यह नेशनल पार्क हरियाली के स्वर्ग के समान है। यहां आकर आपके मन को एक सुकून का अनुभव होता है। यहां पर बहुत सारी छोटी-छोटी झाडियाँ, घास का मैदान और बहुत अधिक संख्या में साल के वृक्ष हैं। यह नेशनल पार्क प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। सितम्बर माह से यहाँ तरह-तरह के प्रवासी पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है। वाइट नेक स्टार्क, पाईड हॉर्नबिल, इजिपतियन गिद्ध, किंगफिशर की प्रजातियां, लेपविंग की प्रजातियां, मोर, नीलकंठ, पान कौवा, तोते की तीन प्रमुख प्रजातियां - (तूईया तोता, अलेक्जेंडराइन तोताध् करण तोता, रोज रिंग तोता) एवं उल्लुओं की विभिन्न प्रजातियां आदि इन दुर्लभ पक्षियों के जमावड़े व अठखेलियों से पार्क की खूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं।

पार्क के सुंदर नजारे व विविध प्रकार के पक्षियों को निहारने के लिए यहां कई सारे वॉच टावर बनाए गए हैं, जहां से आप पार्क की खूबसूरती व इन पक्षियों के कार्यकलापों को करीब से देखने व जानने का लुत्फ उठा सकते है यहाँ आप झील के निर्मल जल में तैरते, इधर-उधर फुदकते, आसमान में उड़ान भरते पक्षियों को बहुत करीब से देख सकते हैं। यहाँ धनेश (हॉर्नबिल),  कठफोड़वा, पोंड हेरोंस, इबिस आदि पक्षी भी देखने को मिल जाएँगे। इसके अलावा बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, चिंकारा, कोटरी, सियार, लकड़बग्घा, लोमड़ी भी यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

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