बेमेतरा
पौधों की अंधाधुंध कटाई से पक्षियों का अस्तित्व खतरे में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 23 मई। पेड़-पौधे की अन्धाधुंध कटाई से पशु पक्षियों को अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है। छोटे-मंझले एवं बड़े शहरों में पक्षियों का अस्तित्व विलुप्त के कगार पर है। जहां पेड़ पौधे होना चाहिए वहां अब नये-नये भवन, मकान, गोदाम बन रहे हैं। पक्षियों को घोसला बनाने के लिए शहरों में पेड़ नहीं मिलने से वे विद्युत खम्भा में अपना आशियाना बना रहे हैं।
वर्तमान में मोबाईल टावर से निकलने वाले रेडिएशन के कारण गौरैया पक्षी जिसे छत्तीसगढ़ी में बाम्हन चिरई भी कहते हैं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। पर्यावरण का संतुलन बनाने, कीट पंतगों एवं चूहों के प्रकोप से फसल नुकसान होने से बचाने में कृषक मित्र का काम करते हैं, पर्यावरण संतुलित रखते हैं। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है वहीं कुछ प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं जो कि चिन्ता का विषय है।
यह तस्वीर बेमेतरा से ‘छत्तीसगढ़’ को एक पाठक ने भेजी है जो जनपद पंचायत दफ्तर के पीछे ट्रांजिट हॉस्टल के समीप एक विद्युत खम्भे की है, जहां सलई चिडिय़ा ने बारिश से बचने एवं नन्हे परिंदों की सुरक्षा के लिए अपना घोसला बनाया है।