महासमुन्द

10 साल से भुगतान के लिए प्रधानपाठक के चक्कर लगा रहा पूर्व सरपंच, कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत
25-May-2022 2:56 PM
10 साल से भुगतान के लिए प्रधानपाठक के चक्कर लगा रहा पूर्व सरपंच, कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत

स्कूल अतिरिक्त भवन  हस्तांतरण प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर करने प्रधानपाठक पर रिश्वत मांगने का भी आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 25 मई।
समीप के ग्राम बरेकेल में एक बार फिर पूर्व आदिवासी सरपंच से 12 वर्ष पूर्व प्राथमिक शाला में निर्मित अतिरिक्त भवन  हस्तांतरण प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर करने के लिए उक्त शाला के प्रधान पाठक द्वारा रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है।  पूर्व सरपंच 10 वर्षों से भुगतान के लिए चक्कर लगाने मजबूर है, परन्तु अब कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत के बाद उनकी उम्मीद जगी है।  प्रार्थी पूर्व सरपंच द्वारा मामले की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में की गई है। इस संबंध में उक्त प्रधान पाठक ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि वे अब कार्य पूर्णता एवं हस्तांतरण प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है।

विकासखण्ड के ग्राम बरेकेल के पूर्व सरपंच पुरूषोत्तम लाल ध्रुव ने कलेक्टर महासमुन्द को लिखित शिकायत करते हुए बताया कि वह गरीब है, लेकिन ग्राम के निवासियों के चाहने पर वर्ष 2009 से 2014 तक पुरुषोत्तम सरपंच पद पर कार्यरत था। इसी दौरान शासन के निर्देश पर 2012-13 में राजीव गांधी शिक्षा मिशन योजना के तहत मिडिल स्कूल में दो अतिरिक्त कक्ष एवं निर्माण कार्य आदेशित हुआ था। 2.64 लाख रूपया की स्वीकृति प्रदान की गई थी। प्रधानपाठक अंतर्यामी प्रधान द्वारा कहा कि कलेक्टर का आदेश आया है, जल्दी-जल्दी काम करने का दबाव डालकर उनसे अतिरिक्त भवन निर्माण कार्य करवाते रहे।

वे स्वयं कार्य सम्पूर्ण होते तक निरीक्षक का कार्य करते रहे, मेरे द्वारा सभी काम सम्पूर्ण कराया गया, परन्तु शासन की ओर से 1.37 लाख रुपये ही अब तक भुगतान किया गया है। शेष बाकी राशि 1.27 लाख के भुगतान के लिए वे शिक्षा विभाग एवं जिला कलेक्टर में सारे दस्तावेज जमकर 1.27 रूपये के भुगतान के लिए आज 10 वर्ष से भटक रहे हैं। परन्तु मुझे भुगतान हेतु कार्य पूर्णता एवं विभाग के हस्तांतरण का प्रमाण पत्र भी जमा करने कहा गया, इस हेतु ज़ब श्री ध्रुव प्रधान पाठक के पास गए, तब उन्होंने मोटी रकम कमीशन के रूप में मांग की।

पूर्व सरपंच ने बताया कि उन्होंने प्रधान पाठक के दबाव में अपना निजी रूपये लगाकर बच्चों के पढऩे लिखने के लिए शासन के मंशा के अनुरूप कार्य कराया है। अभी भी मजदूरों का बकाया राशि नहीं दिया हूँ। ये सभी जरूरतमंद लोग मुझे बार-बार बदनाम करके कहते है कि तुम रूपये निकाल कर खा गये हो मैं गरीब आदिवासी अब क्या करूं? कृपया मेरे प्रति न्याय करते हुए सम्पूर्ण हो चुके स्कूल का निर्माण के बकाया राशि का 1.27 लाख का भुगतान शीघ्र से शीघ्र करने की कृपा करेंगे। अतिरिक्त में पढ़ाई लिखाई का कार्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्वावाद रूप से आज तक जारी है।
 

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