महासमुन्द

सडक़ नहीं, बीमारों को खाट पर अस्पताल ले जाते हैं, बच्चे 5वीं के बाद स्कूल नहीं जाते
25-May-2022 3:07 PM
सडक़ नहीं, बीमारों को खाट पर अस्पताल ले जाते हैं, बच्चे 5वीं के बाद स्कूल नहीं जाते

महासमुंद के बेलर गांव का हाल, महिलाएं समस्या को लेकर कलेक्टोरेट जनदर्शन पहुंचीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,25 मई।
महासमुंद के बेलर गांव में सडक़ नहीं है। सडक़ नहीं बनने कारण यही है कि इस गांव की आबादी 500 से कम है। यहां के बच्चे पांचवीं पढऩे के बाद स्कूल जाना छोड़ देते हैं क्योंकि बरसात में आवाजाही बंद हो जाती है। बरसात में मरीजों को खाट में बिठाकर अस्पताल ले जाते हंै। कई बीमार रास्ते में दम तोड़ देते हैं। गर्भवती माताओं को असमय मौत मिल जाती है। जिले के बागबाहरा विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य ग्राम बेलर महिलाएं कल इसी समस्या को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे थे। उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई।

ग्रामीणों ने की मानें तो ग्राम बेलर पिछले 60 सालों से शासन प्रशासन से सडक़ की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक यहां किसी ने भी सडक़ का निर्माण नहीं कराया है। यहां के ग्रामीण पिछले 60 सालों से आवागमन के लिए परेशान हैं।
तकलीफदेह है कि यहां सडक़ नहीं होने के कारण इस गांव के बच्चे प्राइमरी स्कूल के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ देते हैं। क्योंकि गांव में पांचवी तक स्कूल है और आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाने से बच्चों को आवागमन में परेशानी होती है। ग्रामीणों को भी कई तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। वर्षों मांग के बाद भी समस्या यथावत होने से नाराज ग्रामीण महिलाओं ने मंगलवार को कलेक्टर जनचौपाल में मामले की शिकायत दर्ज कराई है।

ज्ञापन सौंपने के लिए पहुंचे सरपंच रेवती और ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 60 साल से आज तक गांव में सडक़ का निर्माण नहीं हुआ। सडक़ के अभाव में गांव के लोगों को आवागमन में दिक्कतें होती है वहीं आए दिन वे दुर्घटना का शिकार भी हो रहे हैं। बरसात में मरीजों को खाट में बिठाकर अस्पताल ले जाता है। सडक़ नहीं होने के कारण तत्काल इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है इसलिए कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। सरंपच ने बताया कि ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद कलेक्टर ने उन्हें 500 की आबादी वाले गांव में ही सडक़ बनाने का प्रावधान की बात कहीं है। हालांकि उन्होंने उनकी समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है। ज्ञापन सौंपने के दौरान शकुंतला ध्रुव, लोकेश्वरी, संतोषी, बिसना, सुखबती, तुलसी बाई, फुलबाई, रामबाई, चंद्रिका बाई सहित गांव की महिलाएं बड़ी संख्या में मौजूद थी।

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