राजनांदगांव
आयोजन में रचनाकार हुए सम्मानित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25मई। छत्तीसगढ़ी गीतों में छंदों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश की प्रतिनिधि संस्था छंद के छ के स्थापना दिवस पर गत् दिनों जिला आदिवासी गोंड भवन राजनांदगांव में राज्य स्तरीय पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह और राज्य स्तरीय छंदमय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि खैरागढ़ इंदिराकला संगीत विवि के प्रो. डॉ. राजन यादव व अध्यक्षता नीलकंठ गढ़े ने की। विशेष अतिथि प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा, वीरेन्द्र बहादुर सिंह,कुबेर सिंह साहू शामिल थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. यादव ने सभी छंद साधकों को छंदबद्ध कविताओं की विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने अनेक प्रासंगिक पंक्तियों के माध्यम से हिन्दी और छत्त्तीसगढ़ी कविता में छंदों व लोक छंदों के प्रयोग की सविस्तार जानकारी दी। अध्यक्षता करते नीलकंठ गढ़े ने भी अपने विचार रखे। इसके अलावा विशेष अतिथि डॉ. विनोद कुमार वर्मा, वीरेन्द्र बहादुर सिंह, कुबेर सिंह साहू ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन अजय साहू अमृतांशु, जितेन्द्र वर्मा, ईश्वर साहू, ज्ञानु मानिकपुरी, अश्वनी कोसरे ने बारी-बारी से किया। आभार प्रदर्शन महेन्द्र बघेल ने किया।
इस अवसर पर ओमप्रकाश साहू, ज्ञानु मानिकपुरी, दिलीप वर्मा, बसंती वर्मा, बलराम चंद्राकर, उमाकांत टैगोर, मिलन मलरिहा, युनुस अजनबी, वीरेन्द्र कुमार तिवारी, अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा, लखनलाल साहू लहर, संतूराम गंजीर, विजेन्द्र वर्मा, गजराज दास महंत, मनीराम साहू, सुखदेव सिंह, नीलम जायसवाल, केंवरा यदु, इन्द्राणी साहू, पोखनलाल जायसवाल, मीनेश कुमार साहू, सुमित्रा, ओमप्रकाश पात्रे, प्रिया देवांगन, नीलम जायसवाल, सुनील शर्मा, राजेश जगणे, धनराज साहू, गोवर्धन परतेती, डोहर साहू, बलराम सिन्हा, गजराजदास महंत सहित बड़ी संख्या में छंद साधक एवं साहित्यकारों की उपस्थिति रही।
किताबों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में छंद साधकों की 8 किताबों का बारी-बारी से विमोचन किया गया, जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ उनमें कवियत्री आशा देशमुख की छंद चदैनी, कन्हैया साहू अमित की फुरफुंदी और जयकारी जनउला, रामकुमार चंद्रवंशी की छंद बगीचा, धनेश्वरी सोनी गुल की बरवय छंद कोठी और गुल की कुंडलियां, चोवाराम बादल की बहुरिया और कवियत्री शोभामोहन श्रीवास्तव की तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे शामिल है। विमोचित किताबों पर विद्वान संघ छंद साधक ने आधार वक्तय का वाचन किया तथा किताब के रचनाकारों ने भी अपनी बात रखी।