महासमुन्द

काव्यकृति बरखा बसंत की समीक्षा गोष्ठी में साहित्यकार एस चन्द्रसेन की छठीं कृति की समीक्षा
26-May-2022 4:07 PM
काव्यकृति बरखा बसंत की समीक्षा गोष्ठी में साहित्यकार एस चन्द्रसेन की छठीं कृति की समीक्षा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 26 मई।
साहित्यकार श्रीमती एस.चन्द्रसेन जिला शिक्षा अधिकारी की छठीं काव्य संग्रह बरखा बसंत की समीक्षा आस्था साहित्य समिति अध्यक्ष साहित्यकार आनंद तिवारी पौराणिक की अध्यक्षता एवं उपस्थित साहित्यकारों की उपस्थिति में की गई। काव्य संग्रह बरखा बसंत पर समीक्षा करते हुये आनंद तिवारी पौराणिक ने कहा कि बरखा बसंत संभावनाओं व उम्मीद की पुष्प गंध है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ महिला साहित्यकारों को गंभीरता से लिया जाना लगा है। मन घलो हरियावत हे कविता में कवियित्री ने प्रकृति के अनूठे श्रृंगार के अपने मन को भी तदाम्य कर लिया है। कविता में प्रकृति का मानवीकरण है।

शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय से सहायक प्राध्यापक डॉ.दुर्गावती भारतीय ने कहा कि बरखा बसंत काव्य संग्रह में प्रकृति का सजीव चित्रण के साथ आध्यात्म एवं रहस्य का पुट है जो घनीभूत पीड़ा महादेवी वर्मा जी की कविताओं में दिखाई देती है। पीड़ा दर्द काव्य संग्रह का अंश है।

साहित्यकार सीमा रानी प्रधान ने कहा कि रचनाकार ने अपने व्यक्ति दुखसुख को विराट रूप दिया है। प्रकृति को अपना सहचरी मान अपनी भावनाओं को उनके उपादानों में उड़ेल दिया। साहित्यकार सरिता तिवारी ने विचार रखते हुये कहा कि काव्य संग्रह छत्तीसगढ़ी के गूढ़ शब्दों को एक दूसरे को जोडक़र एक काव्यात्मक रचना है। बरखा बसंत में सभी ऋतुओं का अनोखा वर्णन है। कार्यक्रम का संचालन टेकराम सेन ने किया। कमलेश पाण्डेय ने कहा कि काव्य सौंदर्यपरक होने के साथ भाषा सहज, सरल व ओजपूर्ण है। शुभारंभ में सुमधुर आवाज में गीत प्रस्तुत करते हुये सुजाता विश्वनाथन ने कहा कि बरखा बसंत का प्रत्येक शब्द एक दूसरे के पूरक है। शब्दों का चयन मर्म स्पर्शी है। साहित्यकार डा.साधना कसार ने पुस्तक की समीक्षा करते हुये कहा कि बरखा बसंत काव्य संग्रह में वेदना की अभिव्यक्ति है। वही कविताओं में बेलौसपन है। बसंत को बांधकर रखने की प्रवृत्ति है तो वैविध्य भी है। अंत में साहित्यकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कवयित्री एस. चन्द्रसेन ने कहा कि ऋतुओं का प्रभाव हमारे हावभाव भी बदल देते हैं। इसी का परिणाम है कि मेरे भी मन में विभिन्न भावनाओं . परिकल्पनाओं ने जन्म लिया और उन्हें लिपिबद्घ करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह मेरी छठी पुस्तक है। इसमें बरखा और बसंत दोनों का आधिपत्य है। और क्या कहूंं बातें तो अनंत हैं। बस आपके समक्ष बरखा बसंत है।

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