बीजापुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 4 जून। करीब पांच साल से 60 आत्मसमर्पित और 38 नक्सली पीडि़त बेघर परिवार आवासीय जमीन के टुकड़े के लिएभटकने को मजबूर हैं।
यह 98 परिवार नेतानागरी से लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन परिवार और बच्चों के लिए छत नसीब नहीं हो रहा है। नये बस स्टैंड के पीछे इन्हीं पीडि़तों में से कुछ लोगों ने घर बनाने साफ सफाई शुरू की, इतने में वनविभाग का अमला वहां पहुंचा और वहां से उन्हें खदेड़ दिया।
साफ सफाई कर रहे रामनाथ दास ने बताया कि वनविभाग के लोगों से उसे अपनी गाड़ी में बिठाया और कार्यालय ले गए, सुबह 10 से शाम 4 बजे तक उसे डरा धमकाकर मारने की धमकी देकर कार्यालय में रखा। पीडि़तों ने कलेक्टर से मिलकर गुहार लगाई। जिसके बाद ही रामनाथ को छोड़ा गया।
इस बारे डीएफओ अशोक पटेल का कहना है कि उन्हें जानकारी मिली थी कि कुछ लोग नये बस स्टैंड के पीछे वन भूमि पर मकान बनाने साफ सफाई कर रहे हंै। उन्होंने मौके पर वन अमला को भेजकर सफाई का काम रुकवाया दिया हैं। डीएफओ ने बताया कि वहां से रामनाथ दास नाम के एक व्यक्ति को वन अमला की टीम कार्यालय लेकर आई। यहां लिखा-पढ़ी के बाद उसे छोड़ दिया गया।