बीजापुर
ग्रामीणों ने व्यापारियों के सामने की नारेबाजी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 7 जून। मंगलवार को गंगालूर के साप्ताहिक बाजार में गल्ला व्यापारियों को दूरदराज से आये ग्रामीण आदिवासियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। साप्ताहिक बाजार गंगालूर पहुंचे ग्रामीण उस समय नाराज व गुस्सा हुये, जब अमचूर का मनचाहे दाम से गल्ला व्यापारीयों ने खरीदने पर मना कर दिया।
गल्ला व्यापारियों का कहना था कि मंडी में बोली के दरम्यान अमचूर का रेट पहले से भी कम लगा है, और अमचूर का दर शासन द्वारा निर्धारित है। वैसे भी पिछले एक सप्ताह से अमचूर के भाव में भारी गिरावट होने से एक-एक गल्ला व्यापारी को लाखों का नुक़सान हुआ है। ऐसे में घाटे के सौदे में अमचूर खरीदी करना संभव नहीं है।
जानकारी अनुसार गंगालूर क्षेत्र के ग्रामीण अमचूर को 200- 250 रुपए बाजार में खरीदार को बेचने के लिए चाह रहे थे, लेकिन छोटे व बड़े गल्ला व्यापारी इस कीमत पर खरीदी के लिए राजी नहीं हुये और अपना नाप तौल के सामान समटेने लगे। इस दौरान ग्रामीणों ने नारेबाजी कर उसी दाम पर अमचूर लेने के लिए दबाव बनाया।
सूत्रों ने बताया कि व्यापारियों के द्वारा अमचूर नहीं खरीदने पर सैकड़ों ग्रामीण वापस लौट गये। लेकिन कुछ ग्रामीणों ने मजबूरीवश अमचूर से मिलने वाली राशि से रोजमर्रा की चीजें खरीदने के चक्कर में छोटे व्यापारियों को कम दाम में अमचूर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इधर कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा ने निर्देश जारी किया है कि शासन द्वारा निर्धारित दर से कम कीमत पर खरीदी करते पाए जाने पर सम्बंधित व्यापारी के सामान जब्त कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं डीएफओ अशोक पटेल ने बताया कि शासन ने अमचूर के दो दर तय किये है। इसमें सफेद अमचूर की निर्धारित दर 120 रुपये व भूरे अमचूर की 80 रुपये दर निर्धारित हैं।
क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार
विदित हो कि गंगालूर का साप्ताहिक बाजार इस जिले में दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। इस साप्ताहिक बाजार से गल्ला व्यापारी लाखों रुपए के वनोपज खरीदते हंै। 40-50 किमी दूरी तय कर पैदल रास्ते से क्षेत्र के ग्रामीण पहुंचते हैं। इस इलाके के आदिवासियों के लिए यह बाजार कोई मड़़़ई मेला से कम नहीं होता।