बालोद

घर जर्जर, छत से टपकता पानी, पढ़ाई के लिए जद्दोजहद
19-Jun-2022 4:54 PM
घर जर्जर, छत से टपकता पानी, पढ़ाई के लिए जद्दोजहद

माता-पिता के निधन के बाद शासन-प्रशासन से मदद की आस

पितृ दिवस विशेष

शिव जायसवाल  

बालोद, 19 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बिना माता-पिता के जीवन कितना संघर्ष पूर्ण होता है, यह उनसे पूछो जिनके पास माता-पिता नहीं है। आज पिता दिवस है और हम उन तीन बेटियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिनके सर से पिता का साया उठने के बाद उनका जीवन मानो पूरी तरह अंधकार में हो चला है। दो वर्ष पूर्व बीमारी से इनके पिता की मृत्यु हो गई थी, वहीं वर्ष 2015 में इनकी मां का भी निधन हो चुका है।

बेटियों का कहना है कि पिता के जाने के बाद से न उनके पास छत है न रोजी-रोटी और न ही कोई सहारा। यह तीन बहनें आज अपने जीवन से संघर्ष कर रही हंै और पिता को याद कर रही हैं और शासन-प्रशासन से आस है कि वे उनको सहारा दें और छत दिलाएं, जीवन यापन का साधन दिलाएं।

बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के भरदाखुर्द में माता-पिता के निधन होने के बाद यह तीन बहनें भीमा निषाद (17), देहुती निषाद (14) , खोमिन निषाद (11) अपने जीवन से संघर्ष कर रही हैंऔर अब उन्हें प्रशासन से सहयोग की उम्मीद हैं।

घर जर्जर, छत से टपकता पानी और सुरक्षा शून्य
 जिस घर में यह तीनों बहनें रहती हैं, वह घर पूरी तरह जर्जर हो चुका है। मिट्टी की दीवारें दरक रही है और छप्पर से पानी टपकता है। घर का एक कमरा तो पूरी तरह उजड़ चुका है, जहां से कभी भी किसी चोर या फिर अनहोनी करने वाले लोगों के आने-जाने का डर सताते रहता है।

शासन-प्रशासन से मदद की आस
गांव की सरपंच ने बताया कि आज इन बहनों के साथ पूरा गांव कदम से कदम मिलाकर खड़ा है, परंतु शासन और प्रशासन के सहयोग की दरकार है। हम चाहते हैं कि शासन और प्रशासन इन्हें मदद करें, इन्हें पक्का घर दिलाएं और इनके रोजगार का साधन मुहैया कराए। सरपंच ने बताया कि आवास योजना के तहत जो सर्वे सूची है, उनमें इन परिवारों का नाम भी शामिल नहीं है।

पिता के जाने के बाद आई कई समस्याएं
 पिता के जाने के बाद आय जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी इन तीनों बहनों को भटकना पड़ रहा है, जिसके कारण पढ़ाई में भी काफी समस्याएं आ रही है।

दो साल पहले पिता ने छोड़ा साथ
तीनों बहनों ने बताया कि वर्ष 2015 में उनकी मां का भी निधन हो चुका है। इसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी की थी।
दो वर्ष पूर्व उनके पिता की मृत्यु हुई है, इसके बाद दूसरी मां भी इन बच्चियों को बेसहारा छोड़ कर चली गई। जिसके बाद से यह तीनों बहनें अपने जीवन से संघर्ष कर रही हैं।

पढऩे की इच्छा, पर नहीं है पैसे
देहुती निषाद जो की मंझली बहन है, वह पढ़ लिख कर काबिल बनना चाहती हैं, परंतु आर्थिक समस्या ऐसी की उसे पढ़ाई भी छोडऩा पड़ रहा है। उसका कहना है कि एक बहन दसवीं कक्षा पढक़र पढ़ाई छोड़ चुकी हैं और छोटे-मोटे काम कर हम दो बहनों की देखरेख करती हैं। यदि सरकार से कोई मदद मिलता है तो हम तीनों बहनें पढऩा चाहती हैं।

शासन-प्रशासन से नहीं मिली मदद
ग्राम के नागरिक हेमंत साहू ने बताया कि हम तो इन बच्चों के साथ खड़े हैं चाहते हैं कि सरकार भिन्न का सहारा बने, इसके लिए हमने महिला एवं बाल विकास विभाग सहित अन्य जगहों पर इनकी समस्याओं को रख चुके हैं, परंतु अब तक शासन व प्रशासन से किसी तरह का कोई मदद नहीं मिल पाई है। एक कमरे में ही तीनों बहनें जीवन यापन कर रही हैं।

शासन की तरफ से चावल मिलता है और सब्जी के लिए दो वक्त की कमाई कर पाने में अभी सक्षम हैं, परंतु वह जीवन उन्हें नहीं मिल पा रहा है जिनके वे हकदार हैं।
 

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