जान्जगीर-चाम्पा
रोका-छेका को लेकर 20 जून तक ग्राम स्तर पर होंगी बैठकें, शामिल होंगे सरपंच, पंच, ग्रामीण, जनप्रतिनिधि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जांजगीर -चाम्पा, 19 जून। फसलों को पशुओं के चरने से बचाने के लिए रोका-छेका परंपरा के माध्यम से सुरक्षा की जाएगी। इसके लिए पशुपालकों से मवेशियों को गांव में बनाई गई गौठान में भेजने के लिए प्रेरित किया जाएगा और इसके लिए गांव में बैठक आयोजित कर ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणजन निर्णय लेंगे। इस संबंध में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी गजेन्द्र सिंह ठाकुर ने रोका-छेका कार्यक्रम के तहत 20 जून तक ग्राम पंचायत स्तर पर बैठक करने के निर्देश उपसंचालक कृषि, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को पत्र जारी कर दिए हैं।
जिपं सीईओ ने कहा कि राज्य शासन की मंशानुरूप एनजीजीबी के तहत गौठान बनाए गए हैं। इन गौठानों में रोका-छेका परंपरा के अनुसार ही पशुपालक अपने मवेशियों को स्वप्रेरित होते हुए भेजेंगे। गौठानों में नियमित रूप से मवेशियों को लाने के लिए चरवाहे की व्यवस्था की जाएगी, इसके अलावा गौठान में मवेशियों को भेजने के लिए मुनादी कराई जाएगी। वहीं रोका-छेका परंपरा के अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव की उचित व्यवस्था करने के लिए गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाए। उन्होंने कहा कि अगर गौठान में अगर समिति सक्रिय रूप से कार्य नहीं कर रही है तो वहां पर आवश्यकतानुसार प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से समिति में संशोधन कर सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
पशुओं के लिए स्वास्थ्य शिविर
जिपं सीईओ ने कहा कि बारिश के दिनों में पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है ऐसे में गौठान में आने वाले पशुओं के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से इलाज करेंगे, ताकि किसी तरह की कोई उन्हें बीमारी न हो। इसके अलावा बारिश में गौठान में जलभराव की स्थिति निर्मित न हो इसके लिए जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जाएगी एवं पशुओं को बैठने के लिए पर्याप्त सूखा स्थान सुरक्षित किया जाएगा।
जैविक खाद के लिए करें प्रेरित
जिपं सीईओ ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। इसके लिए जरूरी है कि गोधन न्याय योजना के तहत तैयार किये गये वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर वर्मी कम्पोस्ट के खेती में उपयोग के बारे में किसानों को अवगत कराया जाए। गौठान में आने वाली गायों के लिए बारिश के दिनों में पर्याप्त मात्रा में पैरा की व्यवस्था करने कहा है।
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा ग्रीष्मकालीन फसल लगाई गई थी उन किसानों के माध्यम से पैरादान के लिए प्रेरित करें और इसके अलावा चारागाह के माध्यम से हरी घास, नेपियर घास आदि उत्पादन करने कहा है।