रायपुर

स्थानीय परिस्थितियों और किसानों की मांगो को प्रथमिकता दें - डॉ. चंदेल
22-Jun-2022 7:04 PM
स्थानीय परिस्थितियों और किसानों की मांगो को प्रथमिकता दें - डॉ. चंदेल

रायपुर, 22 जून। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय मे मंगलवार को कृषि अनुसंधान विषय पर बैठक में  कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा है कि वे स्थानीय परिस्थितियों, किसानों की मांग तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान कार्य करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न फसलों की ऐसी नवीन किस्में विकसित की जानी चाहिए, जो अधिक उत्पादन और लाभ प्रदान करने वाली हों तथा किसानों की उम्मीदों पर खरी उतरें। डॉ. चंदेल आज यहां कृषि विश्वविद्यालय के नॉलेज सेन्टर में आयोजित खरीफ 2022 की अनुसंधान एवं विस्तार कार्ययोजना की समीक्षा कर रहे थे। बैठक के दौरान खरीफ अनुसंधान एवं विस्तार कार्य योजना को अन्तिम स्वरूप दिया गया। बैठक में संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. पी.के. चन्द्राकर सहित वभिन्न महाविद्यालयों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।

बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. चंदेल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के पुरानी किस्मों को प्रतिस्थापित कर आज की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली नई प्रजातियों को किसानों की बीच लोकप्रिय बनाना चाहिए। कृषि विश्वविद्यालय को नवीन विकसित तथा किसानों के मध्य प्रचलित प्रजातियों के बीच पर्याप्त मात्रा में तैयार कर उनका समुचित भण्डारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान मनीला के साथ मिलकर धान की नवीन प्रजातियों के विकास के लिए संचालित स्पीड ब्रीडिंग कार्यक्रम में तेजी लाई जानी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय में स्थापित फाईटोसेन्टरी लैब के माध्यम से छत्तीसग? के किसानों को अपनी कृषि, उद्यानिकी एवं औषधीय फसलों के निर्यात के लिए आवश्यक जांच एवं प्रमाणीकरण की सुविधा प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा कृषि विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला को कृषि एवं उद्यानिकी फसलों के निर्यात हेतु आवश्यक प्रमाणीकरण हेतु मान्यता प्रदान की गई है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के साथ भी लघु वनोपज एवं औषधीय फसलों की जांच एवं प्रमाणीकरण के लिए जल्द ही अनुबंध किया जाएगा। इससे छत्तीसगढ़ से कृषि, उद्यानिकी एवं औषधीय फसलों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित 18 अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से पांच अन्तराष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाओं, 42 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं सहित कुल 235 अनुसंधान परियोजनाएं संचालित की जा रहीं है। विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चात अब तक 47 फसलों की 160 किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें मुख्यत: धान, गेहँू, अरहर, चना, सोयाबीन, मूंग, उढ़द, मटर, सब्जियों, फलों एवं मसाला फसलों की किस्में हैं। इसके अलावा किसानों की अमदनी बढ़ाने 100 से अधिक किसानोपयोगी तकनीकों का विकास भी किया गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही अम्बिकापुर में भारत सरकार के सहयोग से समन्वित मधुमक्खी पालन केन्द्र की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही शहद परीक्षण प्रयोगशाला भी स्थापित की जाएगी। बैठक में विभिन्न विभागाध्यक्षों द्वारा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल सुधार, उद्यानिकी फसलों का विकास, कृषि अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी विकास, बीज उत्पादन एवं भण्डारण तथा कृषि विस्तार सेवाओं के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिये गये।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news