बेमेतरा

बीज और खाद के संकट से जूझ रहे किसान, कालाबाजारियों पर कार्रवाई की उठी मांग
23-Jun-2022 5:41 PM
बीज और खाद के संकट से जूझ रहे किसान, कालाबाजारियों पर कार्रवाई की उठी मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बेमेतरा, 23 जून।
राज्य में मानसून सक्रिय हो गया है। कृषि कार्य के लिए किसान बीज और खाद के संकट से जूझ रहे हैं। रासायनिक खाद को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत है। इस संबंध में किसान नेता योगेश तिवारी ने बताया कि खाद और बीज को लेकर किसानों की लगातार शिकायत मिल रही है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों में पर्याप्त खाद और बीज नहीं मिलने से किसानों में नाराजगी है। इसका फायदा कारोबारी उठा रहे हैं। जिला प्रशासन की नाक के नीचे खाद की जमकर कालाबाजारी हो रही है। किसान 2 से 3 गुना कीमत पर खाद खरीदने पर मजबूर है। किसानों को  266 रुपए यूरिया बोरी 450 से 500 में खरीदनी पड़ रही है। मानसून करीब एक सप्ताह लेट से आया और प्री मानसून की बारिश भी पर्याप्त नहीं हुई।अमूमनन जून के प्रथम सप्ताह में किसान जोताई कर लेते हैं । इस बार बुवाई ने 20 जून के बाद जोर पकड़ा है । किसानी कार्य यहां करीब 15 दिन पिछड़ गया। अब खाद और बीज के किल्लत ने सरकारी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। 

खाद की किल्लत का सामना कर रहे किसान 
किसानों ने बताया कि चोंगीखपरी सोसायटी अंर्तगत 7 गांव आते हैं। जिसमे डंगनिया, खपरी, नारधी, बचेड़ी, कुम्हिगुड़ा, साल्हेपुर यहां किसान को खाद को कम मात्रा में मिला है। मोहभ_ा सोसायटी अंतर्गत ग्राम परपोड़ा, मनियारी, खिसोरा, बोतका, कोदवा, बुडेरा समेत 10 गांव आते है, यहां डीएपी का समस्या है। ग्राम बांसा, बाहेरा, सुरहोली, बोरिया, खुडमुड़ा, भरत साहू, भिम्भौरी, गाड़ामोड़, खुडमुड़ी, गबदा, डंगनिया समेत अन्य गांवो के किसान खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। 

ठोस कार्रवाई के अभाव में कालाबाजारियों के हौसले बुलंद 
कृषक कुंजलाल साहू, कृष्णा साहू, प्रकाश बघेल, संजु बारले, अजय साहू ने बताया कि किसानों को हर बार खाद और बीज के संकट का सामना करना पड़ता है। बावजूद सरकार इस समस्या का स्थाई समाधान निकालने में नाकाम रही है। राज्य सरकार की ओर से किसान हितेषी होने बड़े-बड दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर परिस्थितियां इसके विपरीत हैं। किसानों को खाद और बीज की कालाबाजारी का सामना करना पड़ता है। बाजार में व्यापारियों से महंगे दाम पर खाद और बीज खरीदना पड़ता है। ठोस कार्रवाई के अभाव में काला बाजार ये के हौसले बुलंद हैं।अन्नदाता किसान अन्नदाता किसान लूटे जा रहे हैं। 

नैनो यूरिया लेने के लिए बाध्य करते हैं व्यापारी 
बेमेतरा जिला मुख्यालय निवासी किसान ओमकर वर्मा ने बताया कि बाजार में एक बोरी यूरिया की कीमत 300 रुपए है। जब यूरिया का सरकारी मूल्य 266 रुपए है । व्यापारी 2 बोरी से कम यूरिया देने को तैयार नहीं, वही दो बोरी यूरिया लेने पर नैनो यूरिया लेने के लिए बाध्य आता है । नैनो यूरिया नहीं लेने की स्थिति में लौटा दिया जाता है।
 

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