नारायणपुर

पहाड़ों की तराई में बसा कुमगांव जुड़ा विकास की मुख्यधारा से
23-Jun-2022 9:49 PM
पहाड़ों की तराई में बसा कुमगांव जुड़ा विकास की मुख्यधारा से

सडक़ बनने से ग्रामीण खुश, कहा अब आने-जाने में होती है आसानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नारायणपुर, 23 जून।
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ वनांचल नारायणपुर जिला मुख्यालय से घने जंगलों और नक्सल प्रभावित इलाके की तरफ बढ़ें, तो 20 किलोमीटर दूर पहाड़ों से घिरे कुमगांव नजर आएगा। पहाड़ों से घिरे इस गांव में 20-25 परिवारों के 120 लोग रहते हैं।

इलाके की प्राकृतिक सुंदरता आपको जैसे बांध ही लेती है, लेकिन यह सुंदरता बाहर से गये लोगों को ही देखने में अच्छी लगती है। पहाड़ों की तराई में बसे गांवों में रहने वाले लोग बहुत कठिन परिस्थितियों में जीवन गुजारते हैं। पहुंच मार्ग के अभाव में किसी भी गांव व क्षेत्र का विकास की बात करना महज कोरी कल्पना सी है, लेकिन प्रशासन के प्रयास से यहां जरूरी सुविधायें पहुंचने लगी है। नक्सल प्रभावित सुदूर वनांचल के निवासी जो वर्षों से शासन की योजनाओं और सडक़ की समस्या से जूझ रहे थे। राज्य शासन की योजना अनुसार इन गांवों का मसाहती सर्वे पूर्ण कर शासन की योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। सडक़ के बन जाने से अब शासन की सभी योजनाओं से आसानी से जोड़ा जा सकता है।

प्रशासन द्वारा लोगों की दिक्कत और आवागमन की सुविधा के लिए प्रशासन ने कुमगांव को जोडऩे सडक़ बनाने का दुरूह कार्य कर दिखाया है। पहले जहां गांव में पहुंचने के लिए सायकल और दुपहिया वाहनों से चलना मुश्किल था, अब वहां सडक़ है, बिजली है, साफ पीने का पानी है, स्कूल है और स्कूल में शिक्षक हैं। सडक़ न बनने से यहां यह सुविधा आसानी से नहीं मिल पाता था। कुछ साल पहले तक यह सब बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना थीं।

इस सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास किया है कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी की टीम ने। गांव तक सडक़ बन जाने से अब स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ-साथ एम्बुलेंस और अन्य बुनियादी सुविधायें गांवों तक पहुंच जाएगी। प्रशासन के इस कार्य से ग्रामवासी काफी उत्साहित हैं और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है।

कुमगांव के ग्रामवासी रानो दुग्गा और मंगाया दुग्गा ने बताया कि सदियों से बसे इन गांवों में लगभग 100 लोग रहते है। कुछ महीने पहले इस गांव तक पहुंच पाना ही सबसे बड़ी समस्या होती थी। इस गांव तक पहुंचने के लिए एकमात्र साधन पगडंडी थी। इस पगडंडी से लोग लाठी का सहारा लेकर ही यहां से आते जाते थे। हमे पहले शासन की योजना का लाभ नही मिल पाता था अब हमारे गांव का सर्वे पूर्ण हो गया है। सर्वे उपरांत कलेक्टर साहब हमारे गांव आये थे, हमारे गांव पहुँचने वाले पहले कलेक्टर थे। पूरा गांव को घूमकर देखे थे उसके कुछ दिनों बाद ही यहां रोड बनाना शुरू हुआ।

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