बालोद

वनांचल क्षेत्र के गांवों में हाथी दल, मकान तोड़े
24-Jun-2022 1:22 PM
वनांचल क्षेत्र के गांवों में हाथी दल, मकान तोड़े

  फसलों को रौंद पहुंचा रहे नुकसान, ग्रामीण दहशत में   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 24 जून।
बालोद जिले में हाथियों की दहशत के साए में ग्रामीण जीवन जीने को मजबूर हैं। लगभग 24 हाथियों का दल जिले के वनांचल क्षेत्र के गांवों में विचरण कर खेत में लगे गन्ने और बाडिय़ों में लगे केले को खाकर भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। हाथी दल कच्चे मकानों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। जिससे ग्रामीण अपनी जान बचा गांव में बने पक्के मकानों के सहारा ले रात गुजारने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग हाथी पीडि़तों को मुआवजा देने की बात कहते हुए उन्हें उनकी हाल पर छोड़ दे रहे हैं।

ज्ञात हो कि दो साल से हाथियों का अलग-अलग दल धमतरी व कांकेर जिला की सीमा से होकर कई बार बालोद जिला की सीमा गुरुर वन परिक्षेत्र में प्रवेश करते हुए दल्ली राजहरा व डौंडी वन परिक्षेत्र में विचरण करते आ रहे हैं। वर्तमान में 24 से 25 हाथियों का एक दल गुरुर व दल्ली राजहरा वन परिक्षेत्र वनांचल गांवों में घूमकर खेतों में लगे गन्ने व बाडिय़ों में लगे केले के फसलों को खाकर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

बीती रात मर्रामखेड़ा गाँव की बस्ती में घुस घर में रखे किसान की धान को खा लगभग चार मकानों को क्षतिग्रस्त किया है। इस दौरान ग्रामीण अपनी जान बचा घर से भागे और गांव में बने पक्के मकानों का सहारा ले छत पर रात गुजारी।

 गौरतलब है कि जिले में बीते दो सालों में हाथियों के हमले से 3 ग्रामीणों की जान जा चुकी है। बावजूद  वन विभाग हाथी विचरण क्षेत्र ग्रामों में महज सावधानी बरतने मुनादी करा फसलों व मकान क्षति का मुआवजा देने की बात करते हैं, लेकिन जन हानि रोकने विभाग के पास कोई ठोस उपाय नहीं हैं।

 बहरहाल हाथियों के उत्पात से ग्रामीण दहशत में हैं, जिसका असर कृषि कार्य में पड़ रहा है। किसान धान रोपाई में लगे हैं, लेकिन एकाएक खेत जाना किसानों के लिए किसी खतरे से खाली नहीं है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा भी नजारा देखने को मिल रहा  कि लोग अपनी जान जोखिम में डाल हाथी के नजदीक जा फोटो खींच सेल्फी ले रहे हैं, जो कभी भी किसी खतरे से खाली नहीं है।

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