बेमेतरा
नक्सली का इलाज का मामला, सील अस्पताल को बिना अनुमति खोला गया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 24 जून। जिला प्रशासन की ओर से सील किए गए एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल को बिना आदेश खोलने और गुप्त रूप से नक्सली के इलाज के मामले में अस्पताल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया। अस्पताल प्रबंधन की ओर से समय-सीमा में जवाब प्रस्तुत किया गया है, हालांकि प्रस्तुत जवाब के सम्बंध में अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत जवाब में पुलिस की जांच का हवाला देकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया गया है। जिसमें पुलिस की जांच को ढाल बनाकर अस्पताल प्रबंधन ने प्रकरण में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, जबकि नोटिस के अनुसार सिमगा रोड स्थित एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल बेमेतरा में 9 जून को शाम 5.30 बजे इनामी नक्सली को गुप्त रूप से उसका नाम बदलकर उपचार हेतु भर्ती करने एवं प्रशासन व पुलिस को सूचना नहीं देने के साथ अपराधी को संरक्षण प्रदान कर देश-प्रदेश को गंभीर खतरा में डालने का कृत्य करना पाया गया है। जिसके कारण संयुक्त टीम द्वारा हॉस्पिटल को सील बंदी की कार्रवाई करते हुए लाइसेंस को निरस्त करने की अनुशंसा की है।
जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर नर्सिंग होम एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एके अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत जवाब में कहा गया है कि पुलिस की जांच में अस्पताल और अस्पताल के डायरेक्टर का नक्सली के इलाज में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं पाई गई है। हर मरीज का इलाज करना एक डॉक्टर का कर्तव्य है। जिसे पूरा किया गया है। ऐसी स्थिति में उन पर कार्रवाई नहीं बनती है। इस संबंध में कलेक्टर विलास भोस्कर सनदीपान कहा कि प्रबंधन ने समय सीमा में जवाब प्रस्तुत किया है। जवाब का अवलोकन करने के पश्चात संतोषजनक नहीं पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई नर्सिंग होम एक्ट के तहत होगी।
प्रकरण में अब तक अनसुलझे
प्रश्नों के नहीं मिले जवाब
- नाम बदलकर (डोमार सिंह ग्राम सलधा, जो अस्पताल के डायरेक्टर का ननिहाल है ) नक्सली का इलाज एके प्राइवेट हॉस्पिटल में करता पाया जाना।
- रायपुर पुलिस की इनपुट पर इनामी नक्सली को एके हॉस्पिटल से गिरफ्तार करना। साथ में 14 साल के केयरटेकर की मौजूदगी।
- अस्पताल सील करने के दौरान बनाई गई पंचनामा रिपोर्ट में नक्सली के इलाज की सूचना नहीं दिए जाने पर कार्रवाई का साफ उल्लेख होना।
- सील अस्पताल को किस अधिकारी के आदेश पर खोला गया, कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं।
- कलेक्टर के आदेश पर सील अस्पताल को कलेक्टर के आदेश पर ही खोला जाना था, जो नहीं किया गया।
- जांच अधिकारी का साक्ष्य एकत्र करने के नाम पर अस्पताल खोलना और बाद में सील नहीं करना सवालों के घेरे में है।