रायपुर

बांधों और भू-जल संरचनाओं में अनिवार्य रूप से हो डिसिल्टिंग
24-Jun-2022 6:20 PM
बांधों और भू-जल संरचनाओं में अनिवार्य रूप से हो डिसिल्टिंग

वन क्षेत्रों में 1290 करोड़ की लागत से 6395 नालों का हो रहा उपचार

मुख्यमंत्री ने की नरवा विकास योजना की समीक्षा

रायपुर, 24 जून। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने कहा है कि नरवा विकास के कार्यों के फलस्वरुप जल स्तर में होने वाले सुधार का आंकलन वैज्ञानिक पद्धति से रिमोट सेंसिंग सैटलाइट के जरिए किया जाए। प्रदेश में जिन नालों का उपचार किया गया है, उन्हें दर्शाने वाले नक्शा भी तैयार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री आज  कैंपा मद से विभिन्न नालों के उपचार के किए जा रहे कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। 

श्री बघेल ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ का सैटेलाइट नक्शा उपलब्ध है, इसमें जहां-जहां फ्रैक्चर है, वहां पर भू जल संवर्धन संरचनाएं तैयार की जानी चाहिए, जिससे जल का भूमि में अच्छे ढंग से रिसाव हो सकेगा। उन्होंने नरवा उपचार के कार्यों से मिट्टी के क्षरण में आ रही कमी का आंकलन करने के भी निर्देश दिए।

सीएम ने कहा कि राज्य में नरवा विकास के चलते नाला के आसपास के इलाको में भूजल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हो रही है। इसके तहत मैदानी क्षेत्रों से भी अधिक वनांचल में नरवा विकास योजना से भू-जल स्तर में 20 से 30 सेंटीमीटर की वृद्धि के साथ उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। इससे वनांचल में वन्य प्राणियों के रहवास में सुधार सहित निस्तारी तथा सिंचाई आदि सुविधाओं का भी लोगों को भरपूर लाभ मिलने लगा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा विकास के कार्यों से वन क्षेत्रों में भूमिगत जल के स्तर में 20 से 30 सेंटीमीटर और मैदानी क्षेत्रों में 7 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। उन्होंने नालों में भू जल संवर्धन संरचनाओं के निर्माण के दौरान वहां की भूमि की किस्म का विशेष रूप से ध्यान रखने के भी निर्देश दिए। श्री बघेल ने कहा कि रेतीली जगहों में डाइक वाल काफी उपयोगी हो सकती है। उन्होंने भेंट मुलाकात अभियान के दौरान सूरजपुर जिले के भ्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि सूरजपुर में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे है वहां नरवा विकास के कार्य करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि  हर 2 वर्ष में स्टॉप डेम, चेक डैम बांधों में डिसिल्टिंग का कार्य कराया जाए, इससे पानी का भराव अच्छा होगा और उनकी सिंचाई क्षमता भी बढ़ेगी। उन्होंने नरेगा के तहत भी नालों के ट्रीटमेंट का कार्य कराने के निर्देश दिए। 

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि राज्य में लगभग 30 हजार बरसाती नालों को चिन्हांकित किया गया है, जिसमें से 8000 नाले राज्य के वन क्षेत्रों में स्थित हैं। वन क्षेत्रों में स्थित 6 हजार 395 नालों का उपचार 01 हजार 290 करोड़ रूपए की लागत राशि से कराया जा रहा है, जिसमें से अब तक लगभग 2 हजार 800 नालों का उपचार पूरा हो चुका है। बैठक में  वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया, वन विकास निगम के अध्यक्ष  देवेन्द्र बहादुर सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार  प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिवअमिताभ जैन, वन विभाग के एसीएस सुब्रत साहू, पीसीसीएफ  राकेश चतुर्वेदी, आयुक्त मनरेगा मोहम्मद अब्दुल केसर हक, नोडल अधिकारी नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी डॉ. अय्याज तम्बोली, सीईओ  कैम्पा व्ही.श्रीनिवास राव,  सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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