सरगुजा

पक्षकार चाहे तो बाल विवाह को शून्य घोषित करा सकते हैं
25-Jun-2022 2:34 PM
पक्षकार चाहे तो बाल विवाह को शून्य घोषित करा सकते हैं

अम्बिकापुर, 25 जून। शुक्रवार को जिला एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश आर.बी. घोरे के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमित जिंदल ने अम्बिकापुर स्थित चाइल्ड लाइन, परिवार परामर्श केन्द्र, बालिका गृह, स्वधार गृह, सखी वन स्टाप सेंटर का निरीक्षण किया एवं विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन कर कानूनी जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बाल विवाह गैर कानूनी है तथा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-3 के अनुसार पक्षकार यदि चाहे तो बाल विवाह को शून्य घोषित करा सकते हैं। बाल विवाह के लिए यदि किसी बच्चे को उसके माता-पिता के पास ले जाया जाता है या अवैध साधनों द्वारा ले जाया जाता है या उसे बेचा जाता है तो धारा-12 के अनुसार ऐसा बाल विवाह शून्य होगा तथा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 9 के अनुसार बाल विवाह करने वाले पुरुष को दो वर्ष के कारावास या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकता है तथा बाल विवाह कराने वाला या उसका अनुष्ठान कराने वाले व्यक्ति को भी दो वर्ष के कारावास या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकता है।

श्री जिन्दल ने बताया कि हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (2) (घ) के तहत यदि किसी स्त्री का विवाह 15 वर्ष की आयु से पहले हुए थे तो वह 18 वर्ष की आयु से पूर्व विवाह का निराकरण करके विवाह विघटित करा सकेगी। श्री जिन्दल ने बताया कि आई.पी.सी. की धारा 366-क के अनुसार 18 वर्ष से कम की आयु की लडक़ी को बुरे आशय से ले जाने के लिए उत्प्रेरित करना दण्डनीय अपराध है तथा आई.पी.सी. की धारा 300-ख के अनुसार 21 वर्ष से कम की आयु की लकड़ी को बुरे आशय से आयात करना दण्डनीय अपराध है।

तथा आई.पी.सी. की धारा 370 के अनुसार किसी व्यक्ति का दुर्व्यापार दण्डनीय है तथा आई.पी.सी. की पारा 374 के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरूद्ध श्रम करने के लिए विधि विरुद्ध तौर पर विवश करना दण्डनीय अपराध है।
श्री जिन्दल ने लोगों को आगे बताया कि मालसा (तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीडि़तों के लिए विधिक सेवाएं ) योजना, 2015 द्वारा भी यौन शोषण तथा तस्करी रोकने की दिशा में सार्थक पहल की गई है जिसमें तस्करी और यौन शोषण के पीडि़तों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना तथा उन्हें मुआवजा दिलवाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तक पहुंचाने की सहायता देना तथा उक्त विषय पर कानूनी जागरूकता तथा कारपोरेट जगत द्वारा भी अपनी सामाजिक जवाबदेही निभाते हुए ऐसे पीडि़तों के कौशल निर्माण और रोजगार सहित तस्करी के शिकार लोगों के पुनर्वास के लिए उपायों का समर्थन करने तथा उक्त संबंध में सभी स्टेक होल्डर के संवेदीकरण तथा उक्त क्षेत्र में अन्य संगठनों की सहायता प्राप्त करने की जानकारी दी।
 

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