राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 जून। राष्ट्र संत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि दुनिया में अच्छाइयां भी हैं और बुराइयां भी। आपको वही नजर आएगा जैसा आपका नजरिया है। अच्छी दुनिया को देखने के लिए नजरों को नहीं, नजरिये को बदलिए। हम केवल अच्छे लोगों की तलाश मत करते रहें, वरन खुद अच्छे बन जाएं, ताकि हमसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए।
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं, जब कोई अपना दूर चला जाता है तो तकलीफ होती है, परंतु असली तकलीफ तब होती है, जब कोई अपना पास होकर भी दूरियां बना लेता है। याद रखें, किसी को सजा देने से पहले दो मिनट रुकिये। याद रखिये, अगर आप किसी की एक गलती माफ करेंगे, तो भगवान आपकी सौ गलतियां माफ करेगा। गलती जिंदगी का एक पेज है, पर रिश्ते जिंदगी की किताब। जरूरत पडऩे पर गलती का पेज फाडिये, एक पेज के लिए पूरी किताब फाडऩे की भूल मत कीजिए।
उन्होंने कहा कि बड़ी सोच के साथ दो भाई 40 साल तक साथ रह सकते हैं। वहीं छोटी सोच उन्हीं भाइयों को 40 मिनट में अलग कर सकती है। भाई के प्रति हमेशा बड़ी सोच रखिए, क्योंकि दुख-दर्द में वही आपका सबसे सच्चा मित्र साबित होगा। याद रखें, पैर में मोच और दिमाग में छोटी सोच आदमी को कभी आगे नहीं बढऩे देती। कदम हमेशा सम्हलकर रखिए और सोच हमेशा ऊंची।