महासमुन्द
बारिश के पानी को बचाने विभागों ने नहीं ली जिम्मेदारी
अगर किसी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है तो वैसे मकानों को चिन्हित किया जा रहा-पालिका
उत्तरा विदानी
महासमुंद, 28 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुंद जिले में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बारिश के पानी को बचाने के लिए मात्र डीएफओ ऑफिस में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, वहीं अन्य कोई भी विभाग ने जिम्मेदारी नहीं ली है।
वन मंडल अधिकारी पंकज सिंह राजपूत ने अपने डिविजन दफ्तर में 6 सिस्टम बनवाए हैं। यही एक जगह है, जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बारिश का पानी वापस जमीन की ओर एकत्र कर हो रहा है। बाकी कोई भी विभाग न तो इस बारे में जानकारी रखता है और न ही उनके कार्यालय में यह सिस्टम लगा है। रही बात महासमुंद शहर की, तो नगरपालिका के अध्यक्ष कहते हैं कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में तेजी आई है। पिछले तीने सालों में शहर में जिन मकानों को बनाने के लिए परमिट जारी हुए थे, उनमें से अगर किसी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है तो वैसे मकानों को चिन्हित किया जा रहा है, ताकि उनकी राजसात की गई राशि से निगम मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके।
नगरपालिका ने भी बैठक लेकर इस हार्वेस्टिंग सिस्टम के बारे में बड़ी बड़ी बातें की लेकिन सब धरे के धर रह गए। यहां कहा था कि तब तक कोई भी आदमी घर नहीं बना सकता जब तक वह यह सिस्टम न लगा ले। लेकिन इस बारे में कोई भी अधिकारी अथवा नागरिक की रुचि नहीं दिखी। मालूम हो कि महासमुंद जिले में सालाना औसत तकऱीबन 1200 मिलिमीटर बारिश होती है। बावजूद इसके प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौसम में जलसंकट की स्थिति रहती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने की पहल की जाती है ताकि वर्षा जल को स्वच्छ तरीके से जमा कर वहां के भू-जलस्तर को रिचार्ज किया जा सके।
महासमुंद शहर की बात करें यहां के पांच प्रतिशत मकानों और दफतरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो सकता है। छत्तीसगढ़ ने पीएचई विभाग के प्रमुख एसएस धकाते से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे विभाग का काम नहीं हैं। वैसे पता चला था कि वन मंडल अधिकारी कुछ काम करवा रहे हैं। आप आरईएस विभाग में पता कीजिए। आरईएस प्रमुख भोला राम चंद्राकर का कहना था कि सालों पहले कुछ काम हुआ था अब विभाग बदल गया है। शायद वन विभाग से यह काम हो रहा है।
वन मंडल अधिकारी पंकज सिंह राजपूत ने कहा कि मैंने अपने डिविजन के दफ्तर में 6 सिस्टम बनवाए हैं। मैंने खुद से यहां 3 बाई 10 फिट के 6 बड़े-बड़े गड्डा बनवाया है ताकि बारिश का पूरा पानी जमीन में जा सके। बाकी रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम मेरी जिम्मेदारी के तहत नहीं है। यह सही है कि वन मंडल महासमुंद के दफ्तर में सिर्फ मैंने यह काम करवाया है।
कुछ साल पहले तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा.रवि मित्तल ने कहा था कि महासमुंद जिले के ग्रामीण इलाकों के 100 से ज़्यादा पंचायतों के नए आंगनबाड़ी, पंचायत भवन में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इसके अलावा पुराने ग्रामीण सरकारी भवनों में रुफ.टॉप पर वाटर हार्वेस्टिंग में भी अब रेन वाटर हार्वेस्टिंग कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम से कराया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोडऩे के लिए यह पहल मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा.रवि मित्तल ने 31 जुलाई 2020 को मनरेगा के तहत जिले के गांवों में सरकारी या पंचायत भवनों में छत पर निर्मित वर्षा जल संचयन संरचनाओं की जानकारी सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत से मांगी थी। ताकि सभी नव निर्मित हो रहे भवन आंगनबाड़ी, पंचायत भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जा सके। उन्होंने वर्षा जल संचयन से संबंधित एवं अन्य दूसरी योजनाओं के क्रियान्वयन का आग्रह भी किया था। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिग के लिए योजना तैयार करने का निर्देश जनपद पंचायत को दिये थे। इसके लिए तकऱीबन 15 लाख रुपये की योजनाओं का क्रियान्वयन भी कराया जाना था। उन्होंने जिले के नये 91 आंगनवाड़ी भवन, 7 नवीन ग्राम पंचायत भवन के साथ-साथ अन्य पुराने सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने के निर्देश दिए थे।
नगर पालिक निगम परिषद की एक अहम बैठक में भी पिछले साल कई प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के पालन को लेकर सख्ती के निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा गरीबों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान देने का प्रस्ताव भी पारित हुआ था। लेकिन अभी तक बरसात के दिनों में पानी का संरक्षण का काम रुका हुआ है। नगरपालिका के अधकारी कहते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए जितनी भी नई बिल्डिंग के लिए परमिशन जारी किए जा रहे हैं, उसके लिए शासन पालिका प्रशासन बेहद गंभीर है।
नगरपालिका परिषद महासमुंद के अध्यक्ष प्रकाश चंद्राकर ने कहा है कि अभी जितनी भी भवन के लिए परमिशन जारी किए जा रहे हैं, उनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही इसके एवज में घर बनाने वाले प्रति स्क्वायर मीटर 55 रुपए के हिसाब से राशि भी जमा करवा रहे हैं। अगर मकान बनाने वाला व्यक्ति रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में विफल होता है, तो ऐसी स्थिति में उनकी राशि को राजसात कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब इस पहल से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में तेजी आ गई है। पिछले तीने सालों में शहर में जिन मकानों को बनाने के लिए परमिट जारी हुए थे, उनमें से अगर किसी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है तो वैसे मकानों को चिन्हित किया जा रहा है, ताकि उनकी राजसात की गई राशि से निगम मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके।