कोरिया

पेड़ बन चुका है राजीव के द्वारा भेंट किया पीपल का पौधा
28-Jun-2022 7:58 PM
पेड़ बन चुका है राजीव के द्वारा भेंट किया पीपल का पौधा

38 साल पहले परिवार सहित आनंदपुर आये थे राजीव, रामचरण को पौधा दे कहा था- देखभाल कर बड़ा करना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 28 जून।
बात जुलाई 1984 की है, जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तत्कालीन मध्यप्रदेश के सोनहत ब्लॉक के ग्राम कटगोड़ी में अचानक हेलीकॉप्टर से उतरे थे, तब वे थोड़े समय के लिए पास के गांव आनंदपुर में कार से पहुंचे थे। उस दौरान श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल तथा प्रियंका गांधी भी उनके साथ थे। इसी दरम्यान गांव में निवासरत विशेष पिछड़ी पंडो जनजाति के रामचरण साय और उनकी पत्नी कुंती साय के पास कार रुकवाकर उन्हें इशारे से अपने पास बुलाया। उन्होंने कार रोककर उनसे हालचाल पूछा और दंपत्ति को पीपल का पौधा भेंट किया था। पीपल भेंट करते हुए राजीव गांधी ने रामचरण दंपत्ति को उसकी लगाकर अच्छे से देखभाल करते हुए बड़ा करने को भी कहा था। रामचरण और उनकी पत्नी ने ऐसा ही किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए प्रकृति के अनुपम उपहार को अपनी संतान की तरह सहेजकर रखा और आज 38 साल बाद वही पीपल का पौधा लगभग सवा सौ फीट ऊंचे विशाल पेड़ का रूप ले चुका है।

रामचरण साय और उनकी पत्नी कुंती बाई तो आज जीवित नहीं है, लेकिन वह पीपल का पेड़ पूरी तरुणाई पर है। घने पेड़ की छांव में पंछियों की कई पीढिय़ां आश्रय ले चुकी हैं, तो पेड़ गांव के विकास और वनवासियों की पर्यावरण संरक्षण पहचान का भी जीता-जागता सबूत बन खड़ा है। स्व. रामचरण साय के पोते  फूलसाय पंडो को इसकी ज्यादा कुछ जानकारी तो नहीं है। बस इतना बताया कि उनकी दादी कुंती बाई अक्सर यह कहती थीं यह पीपल का पेड़ राजीव जी की याद और हमारी पुरखौती की निशानी है और इसका जतन अपने बच्चे की तरह करना। इस तरह देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने खुद इसके जरिए गांव को हरा-भरा रखने का संदेश दिया था।
 मिल साय की बूढ़ी आंखों में आज भी समाई है 38 साल पुरानी यादें, राजीव को भेंट की थी सिद्धा फल की माला  

इसी गांव के 64 वर्षीय ग्राम पटेल मिल साय ने अपनी धुंधली यादों को ताजा करते हुए बताया कि आज से लगभग 38 साल पहले, वर्ष 1984 में ग्राम कटगोड़ी के स्कूल मैदान में राजीव गांधी का हेलीकॉप्टर उतरा था। कुछ समय के लिए उन्होंने वन विभाग के रेस्ट हाउस में विश्राम किया। इसी बीच वन विभाग में कार्यरत फायर वॉचर मिल साय ने सिद्धा फल (एक तरह का औषधीय पौधे का फल) की माला बनाकर राजीव गांधी को पहनाई। इस पर उन्होंने पूछा कि क्या यह फल खाया भी जाता है? मिल साय ने बताया कि इसे खाया नहीं जाता। आदिवासी इसका प्रयोग बुरी बलाओं से बचाने के लिए इसकी माला पहनते हैं। इस पर राजीव जी ने मुस्कुराया। अपने जेहन पर जोर देते हुए श्री साय ने बताया कि राजीव जी के साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी और बच्चे राहुल व प्रियंका गांधी भी उस दिन साथ में थे। आनंदपुर के ही अधेड़ ग्रामीण श्री रामबृज ने भी इस बात की पुष्टि की कि राजीव गांधी ने भनिया बाबा को पीपल का पौधा भेंट किया था। उस समय उनकी आयु लगभग 9-10 साल की रही होगी।

जब मुख्यमंत्री ने श्री मिल साय और लवांगो बाई अपने बगल से बैठाया
आज ग्राम पंचायत रजौली में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री को यह पता चला कि आनंदपुर के ग्राम पटेल श्री साय ने श्री राजीव गांधी को सिद्धा फल की माला पहनाई थी, तो उन्होंने उत्सुकतावश श्री मिल साय और उनकी बहन लवांगो बाई को अपने पास बुलवाकर बगल में बैठाया। दोनों से कुछ देर तक चर्चा भी की। इसके बाद मंच से दोनों भाई-बहनों का परिचय कराते हुए कहा कि हमने तो राजीव गांधी को दूर से देखा था, लेकिन इनका सौभाग्य देखिए, कि मिल साय जी ने उन्हें माला पहनाई और बहन ने रेस्ट हाउस में उन्हें भोजन परोसा।

इसके अलावा रामचरण साय के पोते श्री फूल साय ने मुख्यमंत्री को राजीव गांधी की तस्वीर भेंट करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा दिया हुआ पीपल का पौधा आज विशाल वृक्ष की शक्ल ले चुका है।  जिस पर मुख्यमंत्री ने उस पेड़ को भविष्य में भी धरोहर के तौर पर सहेजने की बात कही।

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