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बस्तर गोंचा महापर्व: कल नेत्रोत्सव में भगवान जगन्नाथ के होंगे दर्शन, 1 जुलाई को रथ यात्रा
28-Jun-2022 9:53 PM
बस्तर गोंचा महापर्व: कल नेत्रोत्सव में भगवान जगन्नाथ के होंगे दर्शन, 1 जुलाई को रथ यात्रा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 28 जून।
बस्तर गोंचा महापर्व समिति के सदस्यों ने पत्रकार वार्ता में बताया कि 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के द्वारा अनवरत 615 वर्षों से समृिद्ध रियासतकालीन परम्परा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष 14 जून से 10 जुलाई तक बस्तर गोंचा महापर्व का आयोजन कर रही है।

14 जून देव स्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान साथ बस्तर गोंचा महापर्व का आगाज हो चुका है, भगवान जगन्नाथ के अनसर काल की समाप्ति के साथ 30 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान में भगवान जगन्नाथ के दर्शन लाभ प्राप्त होगा, 1 जुलाई श्री गोंचा रथ यात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को तीन रथों पर रथारूढ़ कर परिकमा उपरांत जनकपुरी ( गुण्डिचा मंदिर ) में विराजित किये जायेगे, जहाँ अनवरत 9 दिनों तक श्रद्धालु भगवान के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।

इस दौरान निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विविध पूजा विधान संपन्न किये जाएंगे। जनकपुरी गुण्डिचा मंदिर में सत्यनारायण कथा का श्रवण करने एवं विविध धार्मिक अनुष्ठान की परम्परा का निर्वहन के लिए 2 जुलाई से 9 जुलाई तक प्रत्येक दिवस समाज के द्वारा व्यवस्था की गई है । पर्व के दौरान प्रत्येक दिवस संध्या 7.30 बजे महाआरती के उपरांत भजन कीर्तन के साथ - साथ सांस्कृतिक आयोजन होगें, जिसमें स्थानीय एवं छ.ग. शासन सांस्कृतिक मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों द्वारा भजन संध्या की प्रस्तुति होगी।

समाज द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष 4 जुलाई 2022 को अंखड रामायण पाठ का आयोजन श्री बनमाली पानीग्राही परिवार के द्वारा किया जायेगा, 5 जुलाई को हेरापंचमी में माता लक्ष्मी की डोली के साथ नगर भ्रमण कर जनकपुरी में माता लक्ष्मी नारायण संवाद का कार्यक्रम होगा । उक्त दिवस को दोपहर में समाज के बुजुर्गों का सम्मान के साथ - साथ भगवान जगन्नाथ को सलामी देने हेतु तुपकी बनाने वाले ग्रामीण तुपकी निर्माताओं का भी सम्मान किया जाएगा ।
 
समाज के द्वारा बस्तर गोंचा पर्व के दौरान प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 6 जुलाई को नि:शुल्क 10 बटुकों का उपनयन एवं 1 जोड़े का विवाह कार्यक्रम समाज के संस्थापक अध्यक्ष स्व .  मोहन प्रसाद पानीग्राही एवं स्व . उमेशचंद्र पानीग्राही के परिवार द्वारा संपन्न करवाया जावेगा ।  इसी दिवस पर जनकापुरी में श्री ओंकार पांडे परिवार के द्वारा छप्पन भोग का अर्पण भगवान जगन्नाथ को किया जाएगा।

रियासत कालीन शताब्दीयों पहले निर्मित संरक्षित श्री श्री जगन्नाथ मंदिर के जीर्णोध्दार की आवश्यकता को देखते हुये समाज द्वारा शासन प्रशासन से मांग किया जाता रहा जो इस वर्ष फलीभूत हो रहा है। शासन प्रशासन के सहयोग से लगभग 50 लाख की लागत से मंदिर के जीर्णोद्वार का कार्य के साथ-साथ मंदिर के मध्य खंड में नवीन गुबंद का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, 30 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान के शुभ अवसर पर गुबंद में विधि विधान के साथ कलश स्थापना की जावेगी । जगन्नाथ मंदिर के जीर्णोद्धार एवं बहुप्रतिक्षित समाज के द्वारा अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापना के संकल्प को भी मूर्त रूप दिया जा रहा है । अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना की पूरी तैयारी कर ली गई है । 30 जून को नवनिर्मित नवीन गुबंद के गुबंद स्थापना पूजा विधान एवं अन्नपूर्णा महालक्ष्मी के मूर्ति स्थापना पूजा विधान 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के ब्राम्हणों के द्वारा संपन्न किया जायेगा । यहाँ यह बताया जाना आवश्यक है कि अन्नपूर्णा महालक्ष्मी की मूर्ति के साथ संपूर्ण श्रृंगार एवं गुबंद के कलश की व्यवस्था टेम्पल कमेटी के सदस्य श्री राजीव नारंग परिवार के द्वारा प्रदान किया जा रहा है ।

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पर्व के दौरान 8 दुकानें स्थापित की जा रही है । जहाँ समाज द्वारा जगन्नाथ पुरी से लाये गये भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद विशेष रूप श्रद्धालुओं को उपलब्ध होगा । इसके अतिरिक्त भगवान जगन्नाथ को अर्पण किये जाने वाले भोग प्रसाद मालपुआ, खाजा, लौंगलता आदि ताड़ के पत्ते से बने बाक्स में वितरण करने की व्यवस्था की गई है । साथ ही उक्त दुकानों में पूजा सामग्रियों व धार्मिक वस्तुओं की स्टाल श्री श्रद्धालुओं के लिए लगाई जावएगी ।

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को परम्परानुसार गोंचा महापर्व में सम्मिलित होने हेतु आमंत्रण समाज के प्रतिनिधि मंडल एवं बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधियों के उपस्थिति में दिया गया। मुख्यमंत्री ने पर्व में शामिल होने के लिए आश्वस्त किया है । साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रमुख जनप्रतिनिधियों का भी पर्व में शामिल होने की आशा है ।

शताब्दियों से रियासतकालीन परम्परानुसार भगवान जगन्नाथ को अमनिया अर्थात सात्विक शुद्ध भोग का अर्पण 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के 14 क्षेत्रिय समितियों में विभक्त 100 से अधिक ग्रामों में निवासरत् समाज के परिवारों द्वारा 2 जुलाई से 8 जुलाई तक प्रतिदिन भोग पश्चात् श्रद्धालुओं में वितरण किया जाता है ।

नवीन रथ निर्माण पूर्णता की ओर है, रथ के नवीन कपड़ो का निर्माण टेम्पल कमेटी जगदलपुर के माध्यम से कराया जा रहा है।
 
बस्तर के गोंचा महापर्व में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण एवं विभिन्न समुदाय के लोग प्रतिवर्ष अपनी सहभागिता निभाते है । समाज पर्व की भव्य स्वरूप देने हेतु निरंतर प्रयासरत है । गोंचा पर्व में सभी समाज, समुदाय के लोगों को महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के दर्शन लाभ हेतु आमंत्रित करती है । बस्तर अंचल का दशहरा पर्व एवं गोंचा पर्व अपनी समृद्ध गौरवशाली परम्पराओं के लिए देश विदेश तक अपना विशिष्ट स्थान रखता है । 9 जुलाई को बहुड़ा गोंचा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ स्वामी श्री मंदिर लौटेगें एवं कपाटफेड़ा पूजा विधान में माता लक्ष्मी एवं महाप्रभु जगन्नाथ के मध्य संवाद पश्चात् गर्भगृह में स्थापित होंगे।
10 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ गोंचा महापर्व का परायण आगामी वर्ष के लिए होगा ।

पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज, ईश्वर नाथ खम्बारी, अध्यक्ष बस्तर गोंचा महापर्व  दीनदयाल जोशी,  सर्व श्री हेमंत पांडे, रविंद्र पांडे, बालक राम जोशी, सुदर्शन पाणिग्राही, गजेंद्र पाणिग्राही, राकेश पांडे, आत्माराम जोशी, नरेंद्र पाणिग्राही, बनमाली पाणिग्राही, आशा आचार्य, चिंतामणी पाण्डे, वेणुधर पाणिग्राही, भूपेश पाणिग्राही, ललित पांडे, गोपाल पांडे, बद्रीनाथ पांडे, आशू आचार्य, तरुण पाढ़ी, योगेश पाणिग्राही, प्रदीप पाढ़ी, देव शंकर पडा, गिरजा पांडे, चुम्मन पांडे, जशकेतन जोशी, सुधांशु पाढ़ी, रजत पाणिग्राही, चित्रांश पाणिग्राही, आकाश पाणिग्राही गजेंद्र पाणिग्राही आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी नरेंद्र पाणिग्राही मीडिया प्रभारी बस्तर गोंचा महापर्व समिति ने दी ।

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