बेमेतरा

किसानों का सोयाबीन खेती से मोहभंग, लक्ष्य से आधे से कम है रकबा
29-Jun-2022 2:51 PM
किसानों का सोयाबीन खेती से मोहभंग, लक्ष्य से आधे से कम है रकबा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा,  29 जून।
सोयाबीन का रकबा लगातार कम होते जा रहा है। जिले के किसान बारिश व फसल को लेने के बाद नुकसान होने से परेशान होकर सोयाबीन का फसल लेने से हाथ खींच रहे हैं। जिले में चार साल पहले 26957 हेक्टेयर में सोयाबीन का फसल लिया जाता था, पर बीते सीजन के दौरान 5139 हेक्टेयर में सोयाबीन का फसल लिया गया था। इस बार भी इसी तरह की स्थिति नजर आने की बात सामने आया है। समितियों में भंडारित सोयाबीन की बीज का उठाव नहीं हो रहा है।

जिले में 2018 के दौरान जिस सोयाबीन की रकबे को लेकर जिले में सोयाबीन आटा , सोयाबीन दूध , सोया पनीर , सोयाबीन पापड़ व सोयाबीन तेल का उत्पादन करने के लिए प्लांट लगाने का प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत किया गया था, पर अब इसी सोयाबीन की फसल से किसानों ने मन मोड़ लिया है।

जिले में 2018 के दौरान बेमेतरा ब्लॉक में 9850 हेक्टेयर , साजा ब्लॉक में 12237 हेक्टेयर , बेरला ब्लॉक में 3350 व नवागढ़ ब्लॉक में 2520 हेक्टेयर में फसल लिया जा रहा था , वो बीते सत्र के दौरान बेमेतरा जिले के आधे के करीब याने 5139 हेक्टेयर में आकर सिमट चुका है।

कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में सोयाबीन की पैदावारी के लिए 2019 के दौरान 23751 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया था, पर जिले में आंकड़ा गिरकर जिले में 15723 हेक्टेयर में पैदावारी लिया गया था। इसके बाद 2020 के दौरान जिले में 1527 हेक्टेयर में सोयाबीन का फसल लिया गया था। जिले में एक सत्र के दौरान सबसे कम रकबा में लिए गए जाने वाले सोयाबीन का सबसे कम रकबा का रिकॉर्ड इसी सत्र में बना है।

वर्ष 2021 के दौरान जिले के लिए सोयाबीन का रकबा 28270 हेक्टेयर का लक्ष्य किया गया था, जिसमें जिले में 5139 हेक्टेयर में ही सोयाबीन की फसल लिया गया था। जिसमें बेमेतरा ब्लॉक में 1225 हेक्टेयर , बेरला ब्लॉक में 398 हेक्टेयर , साजा ब्लॉक में 3024 हेक्टेयर व नवागढ़ ब्लॉक में 473 हेक्टेयर में फसल लिया गया था।

जिया के किसान सौरभ तिवारी ने बताया कि सोयाबीन की फसल अधिक बारिश होने पर खराब हो जाती है, जिस प्रकार से चार-पांच साल में हमने इस फसल में नुकसान होते देखा है, उसके बाद फसल लेने की हिम्मत नहीं हुई।
संबलपुर के किसान व फसल जानकर डोमेन साहू ने बताया कि हालांकि हमारे क्षेत्र में पूर्व में भी सोयाबीन का रकबा कम था, पर अब और भी कम होने लगा है।
किसान काशी राजपूत ने बताया कि चुकी धान बेचने में हमें 2500 प्रति क्विंटल का दाम मिलता है , ऐसे में सोयाबीन का फसल लेने से नुकसान होने लगा था।

जिले की समितियों में उठाव कम
जिले में बीज निगम द्वारा सरकारी समितियों में सोयाबीन का 495 टन का सप्लाई किया गया है , जिसमें से अभी भी उठाव को लेकर किसानों ने रुचि नहीं दिखाई है। समिति प्रबन्धकों ने बताया कि पूर्व की अपेक्षा सोयाबीन का रकबा कम होते जा रहा है, जिसकी वजह से सप्लाई किया गया स्टॉक आज भी रखा हुआ है।

पथर्रा में चिन्हित 33 एकड़ भूखंड
जिले में सोयाबीन प्रसंस्करण के लिए बेमेतरा-सिमगा मार्ग में ग्राम पथर्रा में लगभग 10 हेक्टेयर भूखंड को चिन्हांकित किया गया था, जहाँ पर 5 प्रोजेक्ट के लिए प्लांट प्रारम्भ किए जाने की संभावनाओं को देखते हुए शासन को बकायदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद लगातार सोयाबीन का रकबा कम होते जा रहा है।

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